ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 18 अप्रैल
जिन टीचरों के पास शिक्षा की निगरानी का जिम्मा हो और उनकी ही कुर्सियां खाली पड़ी हों तो फिर बच्चों के भविष्य पर प्रश्न उठना लाजमी है। इन्हीं नाकामियों के कारण अभिभावकों का झुकाव प्राइवेट स्कूलों की ओर बढ़ रहा है। प्राइवेट स्कूलों में अनुशासन और शिक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं किया जाता है।
इससे अधिक दुर्गति क्या होगी कि 5 कक्षाओं को पढ़ाने के लिए मात्र एक अध्यापक है। हैरत यह कि यही अध्यापक क्लर्क और सफाई कर्मी तक का काम करता है। क्योंकि इस स्कूल में न तो कोई क्लर्क और न ही किसी सफाई कर्मी का स्वीकृत पद है। हम बात कर रहे हैं गांव पाई की राजकीय प्राथमिक पाठशाला की, जहां शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। कक्षा पहली से पांचवीं तक के 4 कमरों के स्कूल में 121 छात्र हैं। इन्हें पढ़ाने को मात्र एक टीचर है।
रोचक बात यह कि पढ़ाने के साथ इसी टीचर पर विभाग के पत्रों का जवाब देने, मिड-डे-मील व्यवस्था और बीएलओ ड्यूटी करने की भी जिम्मेदारी है। राजकीय प्राथमिक पाठशाला पाई से 31 अगस्त 2019 को एक टीचर रिटायर्ड हुआ था। इसके बाद आज 2 साल 8 महीने बाद भी कोई नया टीचर नहीं आया है। अब स्कूल में अकेले टीचर रमेश को एक कमरे में एक साथ तीन कक्षाएं पढ़ानी पढ़ रही हैं।
ऐसा नहीं है कि विभाग को इस बारे कोई जानकारी नहीं है। ऐसा भी नहीं कि नेताओं को इसकी जानकारी न हो। इसके बावजूद व्यवस्था आंखें मूंदे बैठी है। ऐसे में अगर इस एक मास्टर को स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ जाए तो फिर स्कूल राम भरोसे ही चलेगा।
क्या कहते हैं स्कूल टीचर
हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ के राज्य उपप्रधान दलबीर राठी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे पाई के स्कूल में टीचरों के टोटे की समस्या अधिकारियों के सामने रख चुके हैं। उन्होंने कहा कि अध्यापक संघ ने पिछले दिनों जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी व डीसी प्रदीप दहिया के सामने यह समस्या रखी थी। उन्हें आश्वासन मिला था कि स्कूल में एक टीचर की व्यवस्था की जाएगी लेकिन अभी तक समस्या का हल नहीं हुआ है। उनकी मांग है कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए तुरंत पाई के स्कूल में कम से कम एक टीचर की व्यवस्था की जाए।
इस बारे में पाई की प्राथमिक पाठशाला में टीचर रमेश से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बस जैसे कैसे काम चला रहा हूं। मैंने अधिकारियों से बोला है कि टीचर की व्यवस्था की जाए।