Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

इस बार पूरा नहीं भर पाया कौशल्या डैम का जलाश्ाय

पिंजौर, 3 सितंबर (निस) वर्ष 2012 में निर्मित कौशल्या डैम का जलाश्ाय इस बार कम बारिश वाले मानसून सीजन में पूरा नहीं भर पाया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार आगामी दिनों में भी मौसम का मिजाज यदि इसी प्रकार बना...

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
कौशल्या डैम पिंजौर के जलाश्ाय में मंगलवार तक जलस्तर की स्थिति। -निस
Advertisement

पिंजौर, 3 सितंबर (निस)

वर्ष 2012 में निर्मित कौशल्या डैम का जलाश्ाय इस बार कम बारिश वाले मानसून सीजन में पूरा नहीं भर पाया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार आगामी दिनों में भी मौसम का मिजाज यदि इसी प्रकार बना रहा तो अगले वर्ष गर्मी की शुरुआत में ही जलाश्ाय पूरी तरह से सूख जाएगा। क्योंकि पानी अभी भी खतरे के निशान से लगभग 6 मीटर दूर है जिसे भरने में कई दिनों की मूसलाधार बारिश की आवश्यकता पड़ेगी। डैम निर्माण के 12 वर्ष के कार्यकाल में यह दूसरी बार होगा कि जलाश्ाय पूरा सूख जाएगा।

Advertisement

पंचकूला के सेक्टरों में पेयजल आपूर्ति के लिए निर्मित किए डैम के जलाश्ाय में मंगलवार सुबह 8 बजे तक जलस्तर केवल 472.55 मीटर तक ही पहुंच पाया है और गत 1 अगस्त को जलस्तर 467.30 मीटर था यानी एक माह में केवल 5 मीटर तक ही पानी भर पाया है जबकि जुलाई की तुलना में अगस्त माह में अच्छी बारिश हुई है। सितंबर माह में यदि अच्छी बारिश हुई तो आगामी 1 माह में भी डैम पूरा नहीं भर पाएगा। पानी यदि 478 मीटर खतरे के निशान को छू जाता है तो सिंचाई विभाग द्वारा डैम के फ्लड गेट खोल दिए जाते हैं।

Advertisement

पिछले साल तो 10 जुलाई तक ही इतनी अधिक बारिश हो चुकी थी कि डैम को बचाने के लिए फ्लड गेट पूरे 3 दिनों तक खुले रखे गए थे जिससे चंडीगढ़-शिमला एनएच पर अमरावती कालोनी के सामने चंडीगढ़ जाने वाली लेन की सड़क धंस गई थी और फ्लाई ओवर ब्रिज सहित अमरावती पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया था। फ्लाई ओवर ब्रिज तो एक साल बाद भी बनना आरंभ नहीं हुआ है। कई मकान भी बह गए थे।

इतना ही नहीं गत वर्ष की मूसलाधार बारिश से पिंजौर-नालागढ़ एनएच पर गांव कीरतपुर, मढ़ांवाला, बद्दी तक के 3 पुल क्षतिग्रस्त हो गए थे और सड़कें, गलियां भी टूट गई थीं।

भूस्खलन से पिंजौर-कालका परवाणू बाईपास पर शिमला जाने वाली लेन बंद हो गई थी। अन्य कई जगहों पर भी भूस्ख्लन हुआ था। तब डैम में पानी पिंजौर-मल्लाह पुल तक पहुंच गया था लेकिन आज यह पुल से लगभग एक किलोमीटर दूर है।

Advertisement
×