सुरेंद्र मेहता/ हप्र
यमुनानगर,11 अप्रैल
मौसम में हुए जबरदस्त बदलाव के चलते इस बार जहां गेहूं की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है, वहीं आम की फसल पर मिली बग का साया है। इसके चलते आम इस बार आम आदमी की पहुंच से दूर होने वाला है। समय से पहले गर्म हुए मौसम के कारण इसका प्रभाव आम की फसल पर भी देखने को मिल रहा है। आम की फसल पर आये मिली बग कीट ने बागवानों की नींद उड़ा दी है। इससे बचाव के लिए बागवान महंगे कीटनाशकों का छिड़काव कर फसल को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वह भी बेअसर साबित हो रहा है। यमुनानगर जिला आम के लिए हरियाणा ही नहीं देश के कई प्रदेशों में जाना जाता है। लगातार कई वर्षों तक राज्यस्तरीय आम मेले में यमुनानगर जिला को सर्वाधिक पुरस्कार मिलते रहे हैं। जिला में आम के कई बाग हैं, जहां आम की कई वैरायटीज हैं।
आम के पेड़ पर मिली बग कीटों का प्रकोप इतनी तेजी से फैल रहा है कि 50 प्रतिशत तक फसल खराब हो चुकी है। आम के बाग की खेती करने वाले बागवान असलम, मोहम्मद, राम सिंह ने बताया कि जिस तरह से इस बार आम की फसल पर बौर अच्छा आया था, वहीं अब उतनी ही तेजी से वह खराब भी हो रहा है। हालात ऐसे बन गए की अब 40 से 50 प्रतिशत तक फसल खराब हो चुकी है। उन्होंने बताया कि मिली बग कीट का प्रकोप ज्यादा है, जिससे आम के बोर का रस चूसकर वो फसल को खराब कर रहा है, वहीं आम की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रहा है।
इसी के कारण इस बार उत्पादन प्रभावित होने से आम के शौकीनों को अपनी जेबें ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती हैं। आम का मूल्य जहां 50 रुपए प्रति किलो से 70 रुपए प्रति किलो तक होता रहा है। वह इस बार 70 से 90 रुपए प्रति किलो तक हो सकता है। बागवानों ने सरकार से मांग की है कि मंडियों में उन्हें आम के अच्छे भाव मिलें, इसके साथ ही खरीद प्रक्रिया भी पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए।
इन दवाओं का करें छिड़काव : उन्होंने कहा कि कीट का प्रकोप दिखे तो थायोमिथोक्जेम नामक दवा की एक ग्राम मात्रा तीन लीटर पानी में या इमीडाक्लोप्रीड 17.8 एसएल नामक दवा का एक मिली मात्रा तीन लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। दूसरा छिड़काव एसीफेट 75 डब्ल्यूपी का 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ने पर पंद्रह दिन बाद फिर इसी दवा का छिड़काव करें।
जिला बागवानी अधिकारी बोले
जिला बागवानी अधिकारी डॉ. कृष्ण कुमार का कहना है कि मिली बग नामक कीड़ा नवंबर महीने में एक्टिवेट होता है। उस समय मिली बग कीटों को पेड़ पर चढ़ने से रोकने के लिए पेड़ को तने पर जड़ से आधा मीटर की ऊंचाई पर दस सेमी चौड़ी आस्टीको ग्रीस की पट्टी या बीस सेमी चौड़ी पॉलीथीन जमीन से ऊपर तने के चारों तरफ लपेट दें, क्योंकि यह कीड़ा जड़ों से शुरू होकर पेड़ की टहनियों तक जाता है। बाद में यही कीड़ा टहनियों को उसके बाद आने वाले बौर को भी चूस कर समाप्त कर देता है, जिसकी वजह से फ्रूट की पैदावार प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि केमिकल छिड़काव से कुछ हद तक इस पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने माना कि यमुनानगर आम का काफी बड़ा एरिया है, जो इस कीड़े से प्रभावित हो रहा है।