चंडीगढ़, 4 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा सरकार अब साथ लगते सभी राज्यों के साथ अपनी सीमाएं तय करेगी। अब सभी बाॅर्डर पर पिल्लर लगेंगे ताकि राज्यों के बीच किसी तरह का जमीनी विवाद न रहे। प्रदेश में इसकी शुरूआत उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों के बीच अकसर रहने वाले भूमि विवाद को देखते हुए लिया था। यमुना नदी के दोनों ओर किसानों की जमीन को लेकर विवाद दशकों से चला आ रहा है।
समालखा से कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छोक्कर ने यमुना के बदलते बहाव की वजह से किसानों की जमीन खुर्द-बुर्द होने का मुद्दा सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि यमुना का बहाव हरियाणा की ओर हुआ तो 1974-75 में उनके एरिया के किसानों की जमीन खुर्द-बुर्द हो गई। उनका समर्थन करते हुए पानीपत ग्रामीण से भाजपा विधायक महिपाल सिंह ढांडा व घरौंडा विधायक हरविंद्र सिंह कल्याण ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है और सैकड़ों किसान इससे प्रभावित हैं। सरकार इसका स्थाई समाधान निकाले।
मुख्य सचिव करेंगे जांच
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि समालखा क्षेत्र में राणा माजरा से गांव सीमबलगढ़ तक यमुना नदी के साथ-साथ 42 किलोमीटर स्थित गांवों की भूमि राजस्व अभिलेखों में ‘शामलात देह’ है। कानून के अनुसार, ग्रामीणों के पास कब्जा व गिरदावरी होने के बाद भी स्वामित्व की प्रविष्टियां राजस्व अभिलेखों में उनके नाम करना संभव नहीं है। जब प्रश्नकर्ता सदन के सदस्य ने वर्ष 2012 में उक्त जमीन के संबंध में कथित गड़बड़ी होने की बात कही तो दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अगर सदन के सदस्य मांग करेंगे तो इस बारे में जांच करवाई जा सकती है। 2012 में राजस्व विभाग द्वारा इस बाबत जारी किए गए पत्र को लेकर दुष्यंत ने कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि यह फैसला कांग्रेस के समय लिया गया। अब सरकार इसकी जांच कराएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि मालिकाना हक की जमीन को शामताल क्यों दिखाया गया। दुष्यंत ने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी का गठन होगा।