जगाधरी, 20 अप्रैल (निस)
मंगलवार को श्री दुर्गा अष्टमी का पर्व श्रद्धा से मनाया गया,लेकिन कोरोना वायरस का इस पर असर साफ देखा गया। जहां इस बार कंजकों की टोलियां नहीं दिखी, वहीं मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं लगी। ज्यादातर श्रद्धालुओं ने घरों में ही दुर्गा अष्टमी पर पूजन किया। हालांकि मंदिरों में कोविड गाइडलाइन की पालना के लिए सामाजिक दूरी आदि के इंतजाम किए गए थे, लेकिन कोरोना वायरस के डर से बहुत कम श्रद्धालु मंदिरों में पहुंचे।
प्राचीन श्री देवी भवन मंदिर जगाधरी, प्राचीन श्री गौरी शंकर मंदिर जगाधरी, प्राचीन योग माया मंदिर जगाधरी, प्राचीन श्री शेरांवाली मंदिर छछरौली, प्राचीन श्री संतोषी मां मंदिर जगाधरी, मां दुर्गेश्वरी मंदिर बूडिया, प्राचीन श्री खेड़ा मंदिर जगाधरी, प्राचीन श्री सूर्य नारायण मंदिर अमादलपुर के देवी मंदिर आदि में कोरोना वायरस के चलते बहुत कम श्रद्धालु पहुंचे। दुर्गा अष्टमी पर मंदिरों में सुबह चार बजे ही श्रद्धालुओं की कतार लग जाती थी, लेकिन इस बार दिन में एक बार भी भीड़ नहीं लगी।
भक्तों ने घर में ही की पूजा-अर्चना
कलायत (निस) : चैत्र नवरात्रि के आठवे दिन मंगलवार को दुर्गा अष्टमी का पर्व मनाया गया। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की आराधना और पूजा की गई। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार चैत्र नवरात्रि में कस्बा व आसपास के मंदिरों को बंद रखा गया है। ऐसे में मंदिरों में होने वाली अष्टमी पर विशेष पूजन सिर्फ पुजारी ही करते नजर आए। मंदिर में भक्त नहीं पहुंचे, लेकिन भक्तों अपने अपने घर में ही दुर्गा अष्टमी का पाठ व हवन कर मां की आराधना की और कन्याओं को भोजन करवाया।
कंजक पूजन कर कमाया पुण्य
नीलोखेड़ी (निस) : श्री दुर्गाष्टमी का पर्व शहर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। लोगों ने अपने घरों में पिछले एक सप्ताह से स्थापित घट स्थापन (खेतरी) को जल अर्पण कर पूजा-अर्चना की तथा मां दुर्गा की स्तुति की। प्रथम नवरात्र से मां के व्रत रख रहे भक्तों ने अपने-2 व्रत का समापन किया तथा नवदुर्गा के रूप में कंजकों को पूजकर आशीर्वाद लिया। लोग श्रद्धा व प्रेमपूर्वक आग्रह के द्वारा कंजकों को अपने घर पहले चलने के लिए विवश करते देखे गए। कई बाल कन्याओं को भक्तजन बड़ी श्रद्धा से अपनी-अपनी गोद में उठाकर कंजक पूजन के लिए लेकर गए। गृहिणी सन्तोष, रजनी, मोना, ममता, रितु, प्रिया, एकता व सोनिया आदि ने बताया कि महामाई गौरी सर्वसुखों की स्रोत हैं।