सोनीपत, 8 नवंबर (निस)
संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को प्रस्तावित बैठक से पहले मोर्चा के नेताओं ने अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। माना जा रहा है कि किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने से पहले कुछ बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
मोर्चा के सदस्य मनजीत राय ने कहा कि सरकार को झुकाने के लिए जरूरी है कि कुछ खास निर्णय लिए जायें। बैठक में केजीपी-केएमपी को पूरी तरह से बंद करने का प्रस्ताव रखेंगे। भाकियू नेता गुरनाम चढूनी भी दिल्ली कूच करने का सुझाव दे चुके हैं। इस बैठक में पंजाब की सभी जत्थेबंदियों के अलावा मोर्चा के सभी सदस्य मौजूद रहेंगे।
26 नवंबर 2020 से किसान आंदोलन जारी है और दिल्ली की सीमाओं को बंद कर किसान धरना पर बैठे हैं। लाल किले की घटना के बाद से सरकार व किसानों के बीच पैदा हुआ गतिरोध आज भी बरकरार है। सरकार की ओर से बातचीत का कोई न्योता नहीं मिलने के कारण किसान अब आक्रोश में हैं। यही कारण है कि अब कई महत्वपूर्ण फैसले लेने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। बैठक से ठीक पहले मोर्चा के सदस्य मनजीत राय ने कहा है कि सरकार को झुकाने के लिए कुछ अलग करना पड़ेगा।
उनका मानना है कि सरकार को मैसेज देना जरूरी है कि किसान केवल चुप रहकर जुल्म नहीं सहेंगे। ऐसे में वे खुद 9 नवंबर को कुंडली-सिंघु बार्डर पर होने वाली बैठक में केजीपी-केएमपी को बंद करने का प्रस्ताव रखेंगे। इसके अलावा भी कई कड़े फैसले लिए जा सकते हैं। सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है, लेकिन किसानों को अब अपने तरीके से अपनी आवाज सरकार तक पहुंचानी होगी।
‘अभय को अब नहीं देना चाहिए इस्तीफा’
किसानों के पक्ष में फिर से इस्तीफा देने के लिए तैयार रहने वाले अभय चौटाला के बयान पर मनजीत राय ने कहा कि उनकी निजी राय है कि अभय को अब इस्तीफा नहीं देना चाहिए। इससे जनता पर चुनाव का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें विधानसभा में अपने पद का इस्तेमाल करते हुए किसानों की आवाज उठाते रहना चाहिए।