ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 28 मार्च
हरियाणा में ‘गुरुग्राम’ नाम की कोई संसदीय सीट नहीं है। चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों ने नामांकन-पत्र में अगर गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र लिखा तो उनका नामांकन-पत्र रद्द हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि चुनाव आयोग के रिकार्ड में गुरुग्राम नहीं, आज भी ‘गुड़गांव’ पार्लियामेंट ही दर्ज है। हरियाणा सरकार ने करीब आठ साल पहले 12 अप्रैल, 2016 को ‘गुड़गांव’ का नाम बदल कर ‘गुरुग्राम’ कर दिया था।
हालांकि जिस समय गुड़गांव का नाम बदला गया था, उस दौरान विपक्ष ने इसका विरोध भी किया था लेकिन सरकार अपने स्टैंड पर कायम रही। साइबर सिटी – गुरुग्राम में बड़ी संख्या में मल्टी नेशनल कंपनियां हैं। कई विदेशी कंपनियों के मुख्यालय भी गुरुग्राम में हैं। उस समय भी यह मामला उठा था कि जिले का नाम बदलने से इन कंपनियों के अलावा हर किसी को पता बदलने में दिक्कत आएगी। कंपनियों के लेटर हेड के अलावा तमाम तरह के दस्तावेज पर भी गुड़गांव की जगह गुरुग्राम करना होगा।
अब यह मामला इसलिए सुर्खियों में आया है क्योंकि लोकसभा के चुनावों का ऐलान हो चुका है। सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा इस ससंदीय सीट से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को लगातार तीसरी बार टिकट दिया है। कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और इनेलो सहित अन्य दलों के उम्मीदवारों का फैसला अभी नहीं हुआ है। हरियाणा निर्वाचन आयोग तक भी नाम का मुद्दा पहुंच गया है। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि उनके रिकार्ड में गुरुग्राम नहीं बल्कि गुड़गांव नाम की संसदीय सीट है।
ऐसे में उम्मीदवारों को नामांकन-पत्र के साथ जमा करवाए जाने वाले फार्म-बी में ‘गुरुग्राम’ नहीं बल्कि ‘गुड़गांव’ लोकसभा क्षेत्र लिखना होगा।