राष्ट्रपति से लेकर अनेक निर्वाचित जनप्रतिनिधि बड़े चाव से गांव को गोद लेते हैं। ताम-झाम के साथ घोषणा भी करते हैं, लेकिन आदर्श ग्राम योजना के तहत जनप्रतिनिधि गांवों को गोद लेकर भूल से गए हैं। ‘माननीयों’ के गोद लिए गांव कहां तक और कितने ‘आदर्श’ हैं? उनकी हकीकत पर ग्राउंड रिपोर्ट शृंखला के तहत आज पेश है सांसद, संजय भाटिया के गोद लिए गांव पट्टी कल्याणा का हाल।
– संपादक
सुरेंद्र सिंह सांगवान/ट्रिन्यू
पानीपत, 26 मई
करनाल के सांसद संजय भाटिया ने जब इस गांव को गोद लिया तो विकास की बड़ी उम्मीदें जगी थीं, लेकिन उनकी उम्मीदों को पंख नहीं लग पाए। समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया। सबसे बड़ी समस्या तालाबों से गंदे पानी का निकास न होना है। गांव है पट्टी कल्याणा। करनाल के सांसद संजय भाटिया ने इसे गोद लिया है। सांसद ने 5 साल में गांव की कायापलट का वादा किया है। यह अलग बात है कि 3 साल बीतने पर भी समस्या समाधान की ओर कदम नहीं बढ़े हैं। तालाबों से गंदे पानी की निकासी यहां की प्रमुख समस्या है।
ग्रामीणों के अनुसार सांसद चार-पांच बार गांव आ चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई उल्लेखनीय विकास नहीं हुआ है। पिछली बार सरपंच की प्रत्याशी रहीं सुमन व सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट दयानंद भी गंदे पानी की निकासी को प्रमुख समस्या मानते हैं। ओवरफ्लो होने से गंदा पानी गलियों व आसपास खाली जमीन में फैलने लगता है। तालाब गंदे पानी से लबालब हैं। किनारे गंदगी के ढेर लगे हैं। श्मशान घाट के पास तालाब का गंदा पानी ओवरफ्लो के बाद यहां के निवासी दीपक गुप्ता की करीब एक एकड़ जमीन में जमा है।
गोसांई वाला तालाब के गंदे पानी से नरेश की फसलें चौपट हो चुकी हैं। उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं मिला। दस हजार से अधिक की आबादी वाले इस गांव में महज पांच सफाई कर्मी हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आसपास के 11 गांवों से लोग आते हैं। उनके बैठने और पीने के पानी का कोई बंदोबस्त नहीं है। परिसर में सूअर घूमते रहते हैं, चारदीवारी टूटी है। पीएचसी में 5 बजे के बाद डॉक्टर नहीं मिलते। राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल भवन की हालत जर्जर है। यहां पीजीटी के दो, टीजीटी का एक, चौथा दर्जा कर्मचारी का एक पद रिक्त है। उच्च शिक्षा के लिए पानीपत अथवा समालखा जाने वाले विद्यार्थियों को बसों के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। रोडवेज चालक बसों को रोकते ही नहीं। स्ट्रीट लाइट की सुविधा कुछ ही गलियों में है। ग्रामीणों के अनुसार महावटी रोड के आसपास गांंव की काफी महिलाएं पहले शाम को पास के प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र परिसर में सैर के लिये जाती थीं, लेकिन यहीं पास में शराब का ठेका खुलने से महिलाओं का जाना बंद हो गया है। ठेके खिलाफ ज्ञापन तत्कालीन डीसी को दिया गया था, पर कुछ हुआ नहीं। स्टेडियम की मांग पूरी हुई नहीं। गौर हो कि यहां कुश्ती और वॉलीबॉल में (कोमल पांचाल, अमित छौक्कर, अनिल छौक्कर) युवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर चुके हैं। जीटी रोड पर अंडरब्रिज चालू न होने से काफी दिक्कत हो रही है। विकास कार्यों के संबंध में समालखा के एसडीएम सुरेंद्र सिंह का कहना है कि पंचायत के पास आय का कोई साधन नहीं है। सरकार से विकास कार्यों के लिये विशेष ग्रांट प्राप्त नहीं हुई है। फिर भी पांचवें वित्त आयोग से प्राप्त राशि से गांव में एक करोड़ के 22 विकास कार्य कराए जा चुके हैं। कुछ कार्य कोर्ट केस के कारण लंबित हैं। कुछ का एस्टीमेट तैयार है। कुछ मनरेगा के तहत कराए जायेंगे। मॉडल सकूल के लिये बीईओ को लिखा गया है।
जल्द होगा समस्याओं का समाधान
सांसद संजय भाटिया का कहना है कि गंदे पानी की निकासी के लिए पिछले साल करीब डेढ़ किमी लंबी लाइन बिछवाई गई थी। तालाबों की हालत सुधारने के लिए 3 करोड़ की राशि मंजूर हो चुकी है। आगामी दो साल में प्रमुख समस्याओं का निदान कर दिया जाएगा।
एस्टीमेट प्रशासन को भिजवाया था :
निवर्तमान सरंपच निशा छौक्कर का कहना है कि गत वर्ष जरूर एक तालाब से पानी की निकासी कराई गई पर अधिकांश समस्यायें यथावत हैं। तालाबों की सफाई के लिये एस्टीमेट प्रशासन को भिजवाये गये थे।