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धान खरीद में गोलमाल, आंकड़ों में 1.36 लाख एकड़ का अंतर

भाकियू ने हाई कोर्ट जाने की तैयारी
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प्रदेश में धान की बुआई, फिजिकल वेरिफिकेशन और खरीद के आंकड़ों में बड़े अंतर ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारतीय किसान यूनियन ने इसे सुनियोजित फर्जीवाड़ा बताते हुए सरकार और विभागीय अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया है। मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर किसानों ने 28.80 लाख एकड़ में धान दर्ज किया था, जबकि कृषि अधिकारियों ने 30.16 लाख एकड़ का वेरिफिकेशन कर दिया। पोर्टल और सत्यापन के बीच 1.36 लाख एकड़ का यह अंतर भाकियू के अनुसार संभावित घोटाले का केंद्र बिंदु है।

भाकियू चढूनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने आरोप लगाया कि इसी अंतर के आधार पर उत्तर प्रदेश और बिहार से चावल मंगवाकर पांच हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। उनका कहना है कि कृषि विभाग, मंडी बोर्ड और खरीद एजेंसियों के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह बड़ा खेल संभव नहीं था। उन्होंने बताया कि संगठन सीबीआइ जांच की मांग को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेगा।

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चढूनी ने कहा कि रोहतक, भिवानी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, मेवात और चरखी दादरी में पोर्टल पर 64 हजार 726 एकड़ में धान दिखाया गया, जबकि इन जिलों में धान की एक भी खरीद नहीं हुई। आरोप है कि फिजिकल वेरिफिकेशन सिर्फ खानापूर्ति था और जांच उन्हीं अधिकारियों से कराई गई जो स्वयं आरोपों के घेरे में हैं। उन्होंने कहा कि इस बार बाढ़ के कारण उत्पादन घटकर 40 लाख टन रह गया, जबकि मंडियों में 62 लाख टन धान पहुंचा। उनके अनुसार फर्जी गेट पास काटकर पूरा रिकॉर्ड तैयार कर दिया गया और घोटाले की जांच सीबीआइ से कराना आवश्यक है।

 

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