जसमेर मलिक/ हप्र
जींद, 23 मई
जींद और सोनीपत दो जिलों में फैले जाटलैंड में ब्राह्मण समुदाय के सांसद के लिये लोकसभा में जाने का रास्ता अरविंद शर्मा ने 1996 में खोला था। अरविंद शर्मा द्वारा इस संसदीय सीट पर ब्राह्मण समुदाय के लिए जिस राजनीतिक इमारत की नींव रखी गई थी, उस पर अब एक बुलंद इमारत खड़ी हो चुकी है। सोनीपत जाटलैंड में ब्राह्मण समुदाय के राजनीतिक प्रभुत्व पर 25 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव पक्की मुहर लगा सकते हैं।
संसदीय क्षेत्र में सोनीपत जिले के 6 विधानसभा क्षेत्र- सोनीपत, गन्नौर, राई, खरखोदा, गोहाना और बरोदा शामिल हैं। जींद, जुलाना और सफीदों विधानसभा भी इस संसदीय क्षेत्र का हिस्सा हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा लगभग 6 लाख जाट वोटर इसी क्षेत्र में हैं। इसी कारण सोनीपत को प्रदेश की जाटलैंड के नाम से जाना जाता है। यहां 1977 से 1991 तक लगातार जाट समुदाय के नेता सांसद बने। इनमें मुख्तार सिंह मलिक, चौधरी देवीलाल, रिजक राम, धर्मपाल सिंह मलिक, कपिल देव शास्त्री, जितेंद्र मलिक और किशन सिंह सांगवान शामिल हैं। डॉ़ अरविंद शर्मा ने 1996 के चुनाव में दिग्गज जाट नेताओं को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर शिकस्त देकर पहली बार संसद में दस्तक दी थी।
हालांकि इसके बाद लंबे अरसे तक यहां से जाट नेता ही चुनाव जीतते रहे। भाजपा ने 2014 में पहली बार सोनीपत संसदीय सीट पर नया प्रयोग किया। उन्होंने कांग्रेस छोड़कर आए रमेश चंद्र कौशिक को टिकट दिया। कौशिक कांग्रेस के जगबीर सिंह मलिक को चुनाव में शिकस्त देने में कामयाब रहे।
इसके बाद 2019 में जब कौशिक ने पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पटखनी दी तो भाजपा ने ब्राह्मण कार्ड पर ही भरोसा जताया। इस बार कौशिक की जगह राई से विधायक मोहन लाल बड़ौली को टिकट दिया गया है। कांग्रेस ने भाजपा की रणनीति को भांपते हुए सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाया और भाजपा के बड़ौली के मुकाबले ब्राह्मण उम्मीदवार सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट दे दिया।
इनेलो और जननायक जनता पार्टी की ओर से जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है। सोनीपत संसदीय सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या दो लाख के लगभग है।