कुरुक्षेत्र, 14 मई (हप्र)
हरियाणा कला परिषद द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान विश्व रंगमंच दिवस से प्रारम्भ किए गए नाट्य मेला का नाटक ‘मैं फिर आऊंगा’ के साथ समापन किया गया। कला मंच अम्बाला के कलाकारों द्वारा देवेंद्र दमन के लिखे और राहुल शर्मा के निर्देशन में भगत सिंह के जेल में बिताए आखिरी दिनों को नाटक के रूप में प्रस्तुत कर लोगों तक पहुंचाया गया। इस अवसर पर हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन, मीडिया प्रभारी विकास शर्मा, कार्यालय प्रभारी धर्मपाल, मनीष डोगरा, रजनीश भनौट, रमेश सुखीजा, शिवकुमार आदि उपस्थित रहे।
27 मार्च से प्रारम्भ हुए 8 सप्ताह के नाट्य मेला का शुभारम्भ भिवानी के कलाकारों द्वारा रामसजीवन की प्रेमकथा से किया गया था। इसके बाद चरणदास चोर, कोई दुख ना हो तो बकरी खरीद लो, दुलारी बाई, तीन बंदर जैसे नाटकों ने नाट्य मेला में गुदगुदाने का काम किया, वहीं जब मैं सिर्फ एक औरत होती हूं, मिट्टी दा बावा जैसे नाटकों ने विभाजन की त्रासदी को दिखाया। दो कहानियां, लुक्का छुप्पी, खामोश, लाइसेंस और चीफ की दावत जैसे नाटकों ने सामाजिक परिस्थितियों को बयां करते हुए समाज को आईना दिखाने का प्रयास किया।
भगत सिंह के जेल के दिनों को किया सार्थक
अंतिम नाटक ‘मैं फिर आऊंगा’ ने भगत सिंह के जेल में बिताए अंतिम दिनों को दिखाते हुए आजादी के अमृत महोत्सव को सार्थक किया। नाटक ‘मैं फिर आऊंगा’ शहादत से पहले शहीद भगत सिंह द्वारा जेल में बिताए गए अंतिम दिनों को याद करवाता है। जेलर द्वारा कई बार रहम की अपील करने के लिए कहने पर भी किस प्रकार शहीद भगत सिंह अपने फैसले पर अडिग रहे। मां का मोह भी उन्हें अपने फैसले से हिला न सका और वह हंसते हंसते देश पर कुर्बान हो गए। नाटक में बोग्गा सिंह का किरदार अंकुर कश्यप ने निभाया, वहीं भगत सिंह दीपक विज रहे। अंत में नाटक निर्देशक राहुल शर्मा को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।