देशपाल सौरोत/हप्र
पलवल, 13 मई
मुख्यमंत्री जी, हमारी भी सुनो, हम गांव वालों का भी कोरोना के चलते बुरा हाल है। सरपंचों का कार्यकाल तो खत्म हो चुका है और अधिकारी सुनने को तैयार नहीं। यह फरियाद पलवल जिले के ग्रामीणों की है जो आजकल कोरोना से भयभीत हैं। कई गांवों में स्वास्थ्य केन्द्र तो हैं लेकिन इनकी हालत दयनीय है और यहां न तो स्टाफ है और न कोई सुविधा। पलवल के मितरौल-औरंगाबाद, दीघौट, सोंध, बंचारी व खांबी आदि गांवों में पिछले दो सप्ताह के अंदर लगभग 90 लोगों की मौत कोरोना की वजह से हो चुकी है। गांवों में हाहाकार मचा है, सैकड़ों लोग कोरोना और बुखार की चपेट में हैं। मौत के बढ़ते आंकड़ों के चलते प्रशासन ने इन गांवों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया हुआ है। गांव औरंगाबाद के पूर्व सरपंच हरदीप चौहान और मितरौल के पूर्व सरपंच जोग्रेन्द्र सिंह एडवोकेट ने बताया कि मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले दो सप्ताह के अंदर गांव औरंगाबाद में लगभग 25 व गांव मितरौल में 12 से 15 लोगों की जान जा चुकी है। गत 9 मई को औरंगाबाद में 4 और मितरौल में 6 लोगों की मौत एक ही दिन के अंदर हुई है। अभी तक जितने भी लोगों की मौत हुई, सभी को बुखार और खांसी थी। गांवों में सरपंच न होने के चलते अब गांवों में सेनेटाइज अभियान भी नहीं चलाया जा रहा। दीघोट गांव के निवासी गजराज ने कहा कि गांव में लगभग हर घर में कोई न कोई खांसी, जुकाम और बुखार से पीड़ित है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
क्या कहते हैं जिला सिविल सर्जन : जिला सिविल सर्जन डॉ. ब्रहमदीप सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से घर-घर टीम जा रही है। मरीजों की जांच और उपचार कर रही है। सोशल डिस्टेंस और सकारात्मक तरीके से रहने की सलाह दी जा रही है। वहीं उन्होंने कहा कि यदि किसी भी व्यक्ति को बुखार व खांसी की दिक्कत है तो वह अपना कोरोना टेस्ट जरूर कराए।