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प्रदेश की एकमात्र संस्कृत यूनिवर्सिटी को जनवरी में मिलेगा स्थायी भवन

कुलगुरु प्रो. राजबीर सिंह ने निर्माणाधीन परिसर का किया निरीक्षण

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कैथल स्थित महर्षि वाल्मीकि संस्कृत यूनिवर्सिटी के निर्माणाधीन परिसर का निरीक्षण करते कुलगुरु प्रो. राजबीर सिंह व अन्य। -हप्र
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महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के कुलगुरु प्रो. राजबीर सिंह ने विश्वविद्यालय के निर्माणाधीन स्थायी परिसर मूंदड़ी में चल रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। कुलगुरु ने निर्माणाधीन शैक्षणिक ब्लॉक, प्रशासनिक भवन, कक्षाओं तथा अन्य संरचनाओं की प्रगति का निरीक्षण किया। उन्होंने पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के अधिकारियों के साथ विस्तृत बैठक कर निर्माण कार्य की गुणवत्ता, गति और समय-सीमा पर विशेष चर्चा की।

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उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जनवरी, 2026 तक भवन का एक हिस्सा पूर्ण रूप से तैयार कर विश्वविद्यालय को सौंप दिया जाए ताकि आगामी सत्र के आरंभ से ही शिक्षण कार्य स्थायी परिसर में प्रारम्भ किया जा सके। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य की गति को और तेज़ किया जाए तथा कार्य में उच्च गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। बता दें कि वर्ष 2018 में मनोहर लाल खट्टर ने इस प्रदेश की पहली संस्कृत यूनिवर्सिटी खोलने की घोषणा की थी। करीब 200 करोड़ से 24 एकड़ में बनने वाली इस यूनिवर्सिटी में इस समय टीक गांव में 600 से अधिक छात्र शिक्षा ले रहे हैं।

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अब संस्कृत में होगी एमए फिलॉसफी की पढ़ाई

मीडिया से बात करते हुए राजबीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा विश्वविद्यालय को निरंतर मिल रहा सहयोग अत्यन्त प्रशंसनीय है। उन्होंने विश्वविद्यालय में शैक्षणिक विस्तार के बारे में बताया कि एमए फिलॉसफी संस्कृत माध्यम का शुभारंभ हो चुका है। विश्वविद्यालय का लक्ष्य भारतीय ज्ञान परम्परा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नये आयाम के साथ स्थापित करना है। इसी दिशा में अगले वर्ष से ‘वास्तुशास्त्र एवं स्थापत्यकला’ में एमए पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा। यह पाठ्यक्रम भारतीय वास्तु विज्ञान, मंदिर स्थापत्य, नगर नियोजन तथा प्राचीन भारतीय निर्माण परम्पराओं को समझने में सहायक होगा।

कैंपस स्कूल आरंभ किया जाएगा

शीघ्र ही विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आलोक में कैंपस स्कूल आरंभ किया जाएगा। यह विद्यालय कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए होगा, जहां उन्हें गुरुकुल परंपरा की नैतिकता, अनुशासन व संस्कारों के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा पद्धति का संतुलित स्वरूप प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विश्वविद्यालय से 12 संस्कृत महाविद्यालय संबद्ध हैं।

विभागाध्यक्षों एवं प्राध्यापकों के साथ आयोजित बैठक में कुलगुरु प्रो. राजबीर सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज की जरूरत पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ कौशल आधारित एवं वोकेशनल शिक्षा को बढ़ावा देना है। निरीक्षण एवं बैठक के दौरान विश्वविद्यालय के शैक्षणिक अधिष्ठाता एवं कुलसचिव प्रो. संजय गोयल, परीक्षा नियंत्रक प्रो. भाग सिंह बोदला, साहित्य एवं संस्कृति संकाय अधिष्ठाता डा. जगत नारायण, व्याकरण विभागाध्यक्ष डा. सुरेन्द्र पाल वत्स, तथा डा. कृष्ण चन्द्र पांडे, डा. नरेश शर्मा, डा. अखिलेश मिश्र, डा. रामानन्द मिश्र, डा. नवीन शर्मा, डा. हरीश कुमार, जनसंपर्क अधिकारी डॉ. गोविन्द वल्लभ उपस्थित रहे।

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