नारा स्वदेशी वस्तुओं का , फायदा विदेशी कंपनियों को : दीपेंद्र
विदेशी कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क बहाल करने की मांग
रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार ने विदेशी कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क खत्म कर किसानों के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी का नारा लगाने वाली सरकार अब बड़े पूंजीपतियों और विदेशी कंपनियों की जेब भरने में लगी है। दीपेंद्र ने कहा कि कपास उत्पादक क्षेत्र पहले ही महंगी खाद-बीज-डीज़ल और लगातार घटती पैदावार से जूझ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अब आयात शुल्क खत्म होने से मंडियों में कपास का भाव गिर गया है। सरकारी खरीद न होने के कारण किसान एमएसपी से करीब 2,000 रुपये कम रेट पर अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं। इसके चलते पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लाखों किसान भारी आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। दीपेंद्र ने मांग की है कि विदेशी कपास पर 11 प्रतिशत इम्पोर्ट ड्यूटी तुरंत बहाल की जाए।
इसके अलावा टेक्सटाइल इंडस्ट्री को घरेलू कपास खरीदने के लिए बाध्यकारी नीति लागू की जाए। हरियाणा, पंजाब समेत सभी राज्यों के कपास किसानों को एमएसपी गारंटी और सरकारी खरीद सुनिश्चित की जाए। सांसद ने कहा कि अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई करने की बजाय 11 प्रतिशत इम्पोर्ट ड्यूटी खत्म कर विदेशी कंपनियों को लाभ पहुंचाया। इसका सीधा असर भारतीय किसानों की आय और उद्योग पर पड़ा है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस साल कपास का रकबा 127.67 लाख हेक्टेयर है। लंबी फाइबर वाली कपास का एमएसपी 8,110 प्रति क्विंटल तय किया गया, जबकि वास्तविक लागत लगभग 10,075 रुपये प्रति क्विंटल है। यानी हर किसान को औसतन 1,965 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ेगा। आयात शुल्क खत्म होने से यह घाटा और बढ़ जाएगा। दीपेंद्र ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय केवल विदेशी कंपनियों और उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाला है और देश के कपास किसानों की आर्थिक स्थिति को और खराब करेगा।