नरेन्द्र ख्यालिया/निस
हिसार, 7 सितंबर
गुर्दे फेल होने की समस्या से पीड़ित रोगियों और उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों के लिए गुजवि के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुमित सिरोहा की खोज से काफी मदद मिलेगी। उनके द्वारा तैयार किए गए डायलिसिस प्रक्रिया से संबंधित मशीन को भारत में पेटेंट मिला है।
इस डिजायन से तैयार डायलिस मशीन में लगे सेंसर तथा इंटरनेट ऑन थिंग्स (आईओटी) डायलिसिस प्रक्रिया पूरी होते ही ऑटोमैटिक सूचना दे देंगे। इससे पहले डायलिस प्रक्रिया के पूरी होने के बारे में डॉक्टरों को जांच करनी पड़ती थी। इस डिजायन को फोन से भी जोड़ा जा सकेगा।
ऐसे काम करती है मशीन
डॉ. सुमित ने बताया कि इस डिजायन के तहत बनी डायलिसिस मशीन में 2 चैंबर बने होंगे। अपर चैंबर में ओसमोसिर प्रक्रिया के तहत रक्त का शोधन किया जाएगा। रक्त से यूरिक एसिड, यूरिन तथा अन्य अमलीय पदार्थों को अलग किया जाएगा। जबकि लोअर चैंबर में अम्लीय तथा अन्य विजातीय तत्वों को शरीर से बाहर करने की प्रक्रिया पूरी होगी। साथ ही शुद्ध रक्त को शरीर की धमनियों में फिर से प्रवाहित किया जाएगा। डायलिसिस प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी होने पर डायलिस मशीन पर लगे सेंसर प्रक्रिया की पूर्ण होने को सेन्स करेंगे तथा आईओटी द्वारा इसकी सूचना दी जाएगी।
विवि के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने बधाई दी और कहा कि डॉ. सुमित के इस अनुसंधान ने विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाया है।
वर्तमान मशीनों से छोटी, हल्की
डॉ. सुमित ने बताया कि इस डिजायन से तैयार डायलिस मशीन वर्तमान में उपलब्ध मशीनों से छोटी और हल्की होगी। इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकेगा। इस प्रकिया से डायलिसिस प्रक्रिया पूरी होने की सही जानकारी ऑटोमैटिक मिल जाएगी। इससे मैन पावर भी बचेगी। उन्होंने कहा कि यह डिजायन मरीज तथा डाक्टर दोनों के लिए उपयोगी होगा।
पत्नी के हार्ट में लगे पेस मेकर से मिला आइडिया
डॉ. सुमित ने बताया कि इस डिजायन का आइडिया उन्हें उनकी पत्नी के हॉर्ट में लगे पेस मेकर से मिला है। उनकी पत्नी की उम्र मात्र 30 वर्ष है। पत्नी के हॉर्ट में लगा पेस मेकर उनके मोबाइल से जुड़ा हुआ है। जब कभी भी उनकी पत्नी की हृदय गति में कोई बदलाव आता है। पेस मेकर में लगी डिवाइस उन्हें तुरंत फोन पर सूचना दे देती है। उन्होंने भी इस प्रकार की डिवाइस के लिए डिजायन तैयार करने की योजना बनाई थी।