हास्य व्यंग्य से भरपूर नाटक ने दर्शकों को किया लोट-पोट
अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 10 सितंबर
मेघदूत थिएटर ग्रुप भिवानी द्वारा हरियाणवी ओटीटी प्लेटफॉर्म स्टेज एप्प के सहयोग से जयवंत दल्वी द्वारा लिखित हास्य नाटक ‘अरे शरीफ लोगो’ का आदर्श महिला महाविद्यालय के सभागार में मंचन किया गया। नाटक का निर्देशन डॉ. हरिकेश पंघाल व यश केजरीवाल ने किया। नाट्य प्रस्तुति में भाजपा नेता व प्रसिद्ध समाजसेवी जवाहर मिताथलिया मुख्यातिथि रहे तथा अध्यक्षता आदर्श महिला महाविद्यालय प्रबन्धकारिणी समिति के सचिव अशोक बुवानीवाला ने की।
कार्यक्रम में अभिनेता एवं सेंसर बोर्ड के सदस्य हरिओम कौशिक विशिष्ट अतिथि रहे। मंच संचालन डॉ. प्रोमिला सुहाग ने किया। हास्य व्यंग्य से भरपूर नाटक ने पूरे समय दर्शकों को हंसी से लोटपोट कर दिया। नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि हम व्यक्ति के बाहरी आचरण को ही उसकी शराफ़त का पैमाना मान बैठते हैं, जबकि शराफ़त आंतरिक आचरण में बसती है।
महिलाओं के प्रति पुरुषों की मानसिकता पर कटाक्ष
नाटक में महिलाओं के प्रति पुरुषों की ओछी मानसिकता को भी उजागर किया गया। नाटक की कहानी एक सोसायटी में रहने वाले चार पुरुष पात्रों पंडित (यश केजरीवाल), अनोखेलाल (अंकित कुमार), डॉ. घटक (ओमप्रकाश) तथा बिहारीलाल (यश सिंघल) की सोसायटी में रहने आयी नयी किराएदार चंदा (वैशाली परमार) के प्रति उपजी आसक्ति पर आधारित है। शादीशुदा व बाल-बच्चे वाले इन पुरुष पात्रों को सोसायटी में रहने वाला एक किशोर गोपी (सूरज) बेवकूफ़ बनाता है जिसकी वजह से चारों पुरुष पात्र अपनी पत्नियों लक्ष्मी (मिताली कांवत), कलावती (दिव्या शर्मा) और सरला (परी राजपूत) और चंदा के बीच हास्य परिस्थितियों में उलझ कर रह जाते हैं। अंतत: अपनी पत्नियों की सलाह पर चारों पुरुष पात्र मकान मालिक (साहिल मसि) के पास चंदा की शिकायत करने जाते हैं जबकि मकान मालिक खुद चंदा पर फि़दा है। नाटक के अंत में चंदा संदेश देती है कि किसी महिला के प्रति किसी पुरुष का शारीरिक स्पर्श या बाहरी रूप से दिखाया गया आचरण ही गलत नहीं है बल्कि एक पुरुष द्वारा मन ही मन किसी महिला के बारे में गलत सोचना या उसके प्रति अभद्र ख्याल रखना भी गलत आचरण की श्रेणी में आता है।