पंचकूला, 28 अप्रैल (हप्र)
हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ द्वारा रविवार को यहां अकादमी के मासिक कार्यक्रम रू-ब-रू की शानदार शुरुआत की गई। इस मौके आमंत्रित प्रख्यात शायर और चर्चित फिल्म गीतकार डॉ. इरशाद कामिल ने बातचीत में कहा कि वक्त अच्छे और बुरे काम को अपने आप अलग कर देता है। उन्होंने कहा कि कबीर और रूमी (ईरान) की कविता का स्वर एक था, जबकि उस समय इंटरनेट जैसा माध्यम नहीं था। उनका कहना था कि गीतकारी मेरा काम है और शायरी मेरी मोहब्बत है। सभी शायरी अपने लिए ही करते हैं, लेकिन वह व्यक्ति की न रहकर समष्टि की हो जाती है। मोहब्बत का पैगाम देते हुए उन्होंने कहा, पेड़ हमने प्यार का लगाना है कामिल जरूर, फल आ गए तो ठीक है, वो ना फले तो ना फले। आग का दरिया धीरे-धीरे कतरा भी हो सकता है, साथ तुम्हारे रहने वाला तन्हा भी हो सकता है।
मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और प्रदेश के प्रधान सचिव अनुराग अग्रवाल विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री और संचालन उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चन्द्र त्रिखा ने किया।
राजेश खुल्लर ने अनेक उर्दू शायरों के कलाम का उल्लेख करते हुए कहा कि फिल्मी दुनिया एक अलग बाजार है। उन्होंने भी एक शे’र बयां किया- कुछ इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ, जैसे निभा रहा हो कोई अपने रकीब से।
प्रो. अग्निहोत्री ने रू-ब-रू की शानदार शुरुआत के लिए डॉ. त्रिखा को बधाई देते हुए कहा कि हमें फिल्मी साहित्य को भी साहित्य की मुख्य धारा में लाना होगा।
केंद्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक ने कहा कि कविता कविता है, उसमें कहीं भी संकीर्णता नहीं होनी चाहिए। अनुराग अग्रवाल ने कहा कि हम सबको अपनी जीवनधारा में साहित्य एवं संस्कृति को जरूर सम्मिलित करना चाहिए। अकादमी के हिंदी एवं हरियाणवी प्रकोष्ठ के निदेशक, डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने इरशाद कामिल व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का आभार प्रकट किया। संस्कृत प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चितरंजनदयाल सिंह ने कहा अकादमी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करती रहेगी।
इस अवसर पर भारतीय पुलिस सेवा की वरिष्ठ अधिकारी कला रामचन्द्रन, संवर्तक सिंह, हरबंस सिंह, रेखा मित्तल, सीमा गुप्ता, विजय कपूर, संगीता बैनीवाल, डीपीएस बैनीवाल, डॉ. तरुणा सहित अनेक वरिष्ठ लेखक उपस्थित रहे।