मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

‘बैर बढ़ाते मस्जिद-मंदिर, मेल कराती मधुशाला’

हरिवंश राय बच्चन के जन्मोत्सव पर केएम राजकीय महाविद्यालय में कार्यक्रम
प्रो़ जगबीर दूहन
Advertisement

नरवाना, 27 नवंबर (निस)

‘मुसलमान और हिंदू है दो, एक मगर उनका प्याला। एक मगर उनका मदिरालय, एक मगर उनकी हाला। दोनों रहते एक न जब तक, मस्जिद मंदिर में जाते। बैर बढ़ाते मस्जिद-मंदिर, मेल कराती मधुशाला’।

Advertisement

मधुशाला की रचना करने वाले उत्तर छायावाद के प्रमुख कवि, छायावाद और प्रगतिवाद के बीच की कड़ी, हिंदी साहित्य को सरल मधुर और भावात्मक अभिव्यक्ति देने वाले हरिवंश राय बच्चन के जन्मोत्सव पर केएम राजकीय महाविद्यालय में कार्यक्रम में उन्हें याद किया गया। हिंदी विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर जगबीर दूहन और हिंदी विभाग ने यह कार्यक्रम किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, दो चट्टानें आदि प्रमुख रचनाएं हैं। जिसमें मधुशाला विश्व प्रसिद्ध रचना है। यह काव्य का अमर ग्रंथ है। उन्होंने शराब और मधुशाला को प्रतीकात्मक रूप में प्रयोग कर जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया है। मधुबाला व मधुकलश गहरी भावुकता और दर्शन से भरी हुई काव्य रचनाएं हैं। उन्होंने अपनी आत्मकथा को चार भागों में लिखा, जिसमें क्या भूलूं क्या याद करूं, नीड का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दसद्वार से सोपान तक’ हैं। उन्होंने अंग्रेजी काव्य में शेक्सपियर के प्रसिद्ध नाटक मैकबेथ और आथेलो का भी हिंदी अनुवाद किया। उन्होंने कहा कि हरिवंश राय बच्चन न केवल एक महान कवि थे बल्कि एक संवेदनशील और दार्शनिक व्यक्तित्व के धनी थे। वह आज भी अपने पाठकों को प्रेरणा और जीवन की गहराई का अनुभव कराते हैं। वह हिंदी साहित्य के इतिहास में हमेशा अमर रहेंगे।

Advertisement
Show comments