हरेंद्र रापड़िया/ हप्र
सोनीपत, 23 अप्रैल
एशियाई चैंपियनशिप में शनिवार को हरियाणा के चार पहलवानों ने पदक जीतकर कुश्ती जगत में एक बार फिर प्रदेश की धाक जमा दी। मंगोलिया में आयोजित इस चैंपियनशिप में सोनीपत के गांव नाहरी के रवि दहिया ने सोना जीता। सोनीपत के ही माडल टाउन निवासी बजरंग पूनिया ने रजत और गांव गुमड़ के नवीन ने कांस्य पदक अपने नाम किया। वहीं, रोहतक के सत्यव्रत कादियान ने चांदी जीती।
इनकी जीत को सिर्फ मेडल में नहीं आंका जा सकता, बल्कि यह सोनीपत, रोहतक, झज्जर व एनसीआर में 300 से अधिक अखाड़ों में कुश्ती का ककहरा सीख रहे 8 हजार से अधिक पहलवानों का जोश बढ़ाने का भी काम करेगी।
देसां में देस हरियाणा, जित दूध-दही का खाणा की कहावत को प्रदेश के पहलवान कई दशक से लगभग हर अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में मेडल जीतकर सार्थक कर रहे हैं। महिला पहलवान भी इस अभियान में पीछे नहीं हैं। अगर कहें कि हरियाणा की धरती पहलवान उगल रही है तो इसमें कोई अतिश्ायोक्ति नहीं होगी।
भारतीय महिला कुश्ती टीम के मुख्य कोच कुलदीप मलिक बताते हैं कि हरियाणा में कई दशक पहले तक कृषि भूमि के मालिक की समाज में विशेष पहचान होती थी, लेकिन अब घर-घर का खेल माने जाने वाली कुश्ती ने इसके मायने बदल कर रख दिए हैं। आज जिसके घर या परिवार में जितने अधिक पहलवान हैं, उसे उतना ही अधिक संपन्न खानदान माना जाता है। हरियाणा में मास्टर चंदगीराम, महावीर पहलवान, जगरूप पहलवान, राजेंद्र मोर, संजय मटिंडू समेत नामचीन पहलवानों की एक लंबी सूची है। अकेले सोनीपत में 12 अर्जुन अवार्डी पहलवान हैं।
राजनेताओं से भी मिली मदद दशकों तक हरियाणा की राजनीति में छाए रहे ताऊ देवीलाल किशोरवय तक पहलवानी में जोर आजमाइश करते थे। बाद में राजनीति में व्यस्त होने के कारण धीरे-धीरे मैदान से दूर हो गये, लेकिन कुश्ती के प्रति उनका प्रेम बना रहा। एशियाड व राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता, अर्जुन अवार्डी सेवानिवृत्त डीआईजी राजेंद्र मोर बताते हैं कि चौ. देवीलाल ने मुख्यमंत्री रहते उनकी बहुत मदद की, जिसकी वजह से उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश के लिए मेडल जीते। पहलवानों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री एवं लॉन टेनिस के खिलाड़ी रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी खेल और खिलाड़ियों को विशेष सम्मान देते रहे हैं।
बॉलीवुड पर भी छोड़ी छाप हरियाणाा के पहलवान बॉलीवुड में भी छाये रहे हैं। आमिर खान ने 2016 में दंगल फिल्म बनाकर देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में हरियाणा की महिला पहलवानी को खास पहचान दिलाई। अभिनेता सलमान खान भी सुलतान फिल्म में हरियाणवी पहलवान के तौर पर दमखम दिखा चुके हैं।
एशियाई कुश्ती में हरियाणा की धाक
भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया ने शनिवार को मंगाेलिया में कजाखस्तान के रखत कालजान के खिलाफ दबदबे भरा प्रदर्शन करते हुए एशियाई चैम्पियनशिप में जीत दर्ज की जबकि वापसी कर रहे अनुभवी बजरंग पूनिया को रजत पदक से संतोष करना पड़ा। इस तरह भारत के पांचों पुरुष पहलवान इस प्रतियोगिता में पदक जीतने में सफल रहे। भारत ने इस महाद्वीपीय चैंपियनशिप में एक स्वर्ण और 4 रजत सहित कुल 15 पदक जीते हैं। रवि ने लगातार तीसरा स्वर्ण पदक अपने नाम किया। गौरव बालियान (79 किग्रा) ने भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया लेकिन फाइनल में जीत के करीब पहुंच कर चूक गये। भारत के 2 अन्य पहलवानों सत्यव्रत कादियान (97 किग्रा) और नवीन (70 किग्रा) ने कांस्य पदक जीते।
टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता रवि ने अपने सभी मुकाबलों में शुरू में बढ़त गंवा दी थी लेकिन उन्होंने शानदार तरीके से वापसी करते हुए पुरुष फ्रीस्टाइल स्पर्धा में सभी प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ दिया। यह उनका सत्र का दूसरा फाइनल था। उन्होंने फरवरी में डान कोलोव स्पर्धा में रजत पदक जीता था।
सोनीपत के नहरी गांव के रहने वाले ओलंपिक रजत पदक विजेता रवि ने एक बार फिर अपनी शारीरिक क्षमता और रणनीतिक श्रेष्ठता का परिचय देते हुए पुरुषों के 57 किग्रा फ्रीस्टाइल में पहले जापान के रिकुतो अराई को हराया और बाद में मंगोलिया के जानाबाजार जंदनबुड पर 12-5 से शानदार जीत दर्ज कर फाइनल में जगह बनायी।
खिताबी भिड़ंत में कलजान ‘टेक डाउन’ से आगे हो गये थे और काफी समय तक उन्होंने भारतीय पहलवान को कोई अंक नहीं लेने दिया। लेकिन अपनी शैली के अनुरूप रवि ने तकनीकी श्रेष्ठता की बदौलत मुकाबले पर दबदबा बनाना शुरू कर दिया और भारत ने इस साल टूर्नामेंट का पहला स्वर्ण पदक जीत लिया। रवि ने दिल्ली में 2020 चरण में और पिछले साल अलमाटी में भी स्वर्ण पदक जीता था।
टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद पहली बार प्रतिस्पर्धी मुकाबला खेल रहे बजरंग यहां पूरे लय में नहीं दिखे। वह आक्रमण से ज्यादा रक्षात्मक खेल का सहारा लेते दिखे। फाइनल में ईरान के मौजूदा जूनियर चैंपियन रहमान मौसा अमौजादखली ने बजरंग के ऊपरी शरीर के साथ कलाई पर मजबूत पकड़ बना ली।
रहमान ने बजरंग के दाहिने पैर पर हमले के साथ दो अंक अर्जित किए और भारतीय पहलवान की वापसी का मौका खत्म कर दिया। यह एशियाई चैंपियनशिप में बजरंग का आठवां पदक था।
गौरव (79 किग्रा) ने ईरान के दिग्गज अली बख्तियार सावादकौही के खिलाफ फाइनल और उससे पहले के मुकाबले में दमदार प्रदर्शन किया।
फाइनल में वह एक समय 0-8 से पिछड़ रहे थे लेकिन उन्होंने स्कोर को 9-9 से बराबर कर दिया। ईरान के खिलाड़ी को अधिक अंक (चार अंक) वाले चाल के कारण विजेता घोषित किया गया।