यमुनानगर, 3 मई (हप्र)
जिस बलारपुर इंडस्ट्री लिमिटेड के ‘व्हिसल’ बजने से लोग अपनी घड़ियों के समय का मिलान करते थे। वह अब लोगों को सुनाई नहीं देगा। यमुनानगर से 20 किलोमीटर तक इस ‘व्हिसल’ की आवाज सुनाई देती थी, जिसके बाद यहां के कर्मचारी उसे सुनकर ड्यूटी पर आते थे। वह अब बीते जमाने की बातें हो जाएंगी। यमुनानगर के नहीं आसपास के कई इलाकों के हजारों लोगों को रोजगार देने वाली बलारपुर इंडस्ट्री जिसे लोग पेपर मिल के नाम से भी जानते हैं, वह अब बंद हो रही है और उसकी नीलामी होने वाली है। इसी बलारपुर इंडस्ट्री ने शहर को बसाया था। जिस समय यह इंडस्ट्री लगी, उस समय आसपास जंगल हुआ करते थे, लेकिन धीरे-धीरे इस इंडस्ट्री के चारों तरफ लोगों ने दुकानें, मकान, शोरूम लेकर रहना शुरू किया। और यह एक बड़ा शहर बन गया। पेपर मिल के 2 तरफ सैकड़ों दुकानें हैं। जहां हजारों लोगों को रोजगार है। वहीं सरकार को भी राजस्व के रूप में करोड़ों प्राप्त होते हैं। इस इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों का कहना है कि उनके दादा ने इस पेपर मिल अपने जीवन की शुरुआत की थी। उसके बाद उनके पिताजी भी इसी पेपर मिल से सेवानिवृत्त हुए। आज यह मिल बंद हो रही है इससे हमारी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। सरकार को चाहिए था किसी तरीके मिल के कर्ज को उतार कर हजारों लोगों को रोजगार दिया जाता, लेकिन इसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं गया।
यमुनानगर की सबसे पुरानी, बड़ी व प्रसिद्ध औद्योगिक इकाई बलारपुर इंडस्ट्रीज लिमिटेड (पेपर मिल) के लिक्विडेशन (टुकड़ों में बेचने की प्रक्रिया) हट गई है। फिनक्वेस्ट कंपनी का प्रपोजल ट्रिब्यूनल ने पहले ही स्वीकार कर लिया था। इस प्रपोजल पर ट्रिब्यूनल ने पैसा देने व अन्य बिंदुओं पर जवाब मांगा था। यह जवाब भी अब कंपनी ने ट्रिब्यूनल को दे दिया है। इसके बाद पेपर मिल को बेचे जाने की सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी।
पेपर मिल पर लिक्विडेटर रवि सेतिया को नियुक्त किया गया है। उनकी देखरेख में ही पेपर मिल को बेचने की पूरी प्रक्रिया चलेगी। यह आदेश नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल ने 25 जनवरी को जारी कर दिए थे। इस लिक्विडेशन के खिलाफ फिनक्वेस्ट कंपनी ने याचिका लगाई थी। सीओसी (कंपनी आफ क्रिएडिटर) ने भी कंपनी पर सहमति जता दी थी। जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया था।
पेपर मिल पर करीब 3 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। यह कर्ज अलग-अलग 19 बैंकों से हैं। इसके अलावा डीएसबी, डच बैंक, एचएसबीसी, सिटी बैंक जैसे विदेशी बैंकों से भी मिल ने कर्ज उठाया है। फिनक्वेस्ट कंपनी का भी करीब 175 करोड़ रका कर्ज पेपर मिल पर है। इसलिए ही सीओसी की बैठक में करीब 15 प्रतिशत वोटिंग का अधिकार इस कंपनी को था। करीब 200 एकड़ एरिया में पेपर मिल बना है।
देश की सबसे बड़ी और सबसे उत्तम गुणवत्ता के कागज बनाने वाला कारखाना रहा है, लेकिन बाद में कर्ज में डूबने की वजह से मिल की हालत खस्ता होती गई।
अस्थायी कर्मचारियों को भी यहां से निकालना पड़ा।मिल बिकने के बाद लोग इस बात को नहीं भूल पाएंगे कि इस पेपर मिल ने शुरू से ही हजारों लोगों को रोजगार दिया है।