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Haryana News : मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग तैयार, पेयजल व्यवस्था करना भूले

ग्राउंड रिपोर्ट : सीएम ने 2014 में की थी घोषणा, 3 साल में बननी थी बिल्डिंग, 2019 में हुआ काम शुरू
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जींद का निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज, जहां पानी की व्यवस्था नहीं। -हप्र
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जसमेर मलिक/हप्र

जींद, 15 मार्च

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सरकारी परियोजनाओं में कैसे बड़ी चूक हो जाती है, या कर दी जाती है, इसका मुंह बोलता प्रमाण जींद के गांव हैबतपुर में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज है। निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज में अब जाकर पीने के पानी की व्यवस्था की जा रही है, जबकि ये व्यवस्था बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू होने से पहले की जानी थी। मेडिकल कॉलेज में पीने के पानी की ये व्यवस्था भी अस्थाई तौर पर की जा रही है। इसके लिए भी अभी लगभग 3 साल और इंतजार करना होगा।

गांव हैबतपुर में मेडिकल कॉलेज के निर्माण की घोषणा दिसंबर 2014 में तत्कालीन सीएम मनोहर लाल ने की थी। कॉलेज की परियोजना शुरू से ही लटके-झटके खाती रही। 5 साल तक परियोजना धरातल पर नहीं उतरी। 2019 में परियोजना धरातल पर उतरनी शुरू हुई। 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की इस परियोजना का काम 2 चरणों में एल एंड टी कंपनी को दिया गया था। प्रथम चरण का निर्माण कार्य 3 साल में पूरा होना था, पर 6 साल बीतने के बावजूद निर्माण पूरा नहीं हुआ।

अब ट्यूबवेलों से अस्थाई पेयजल व्यवस्था पर काम हुआ शुरू | प्रथम चरण का निर्माण कार्य पूरा होने को है। जाकर कॉलेज के लिए पीने के पानी की अस्थाई व्यवस्था पर काम शुरू हुआ। कॉलेज में ट्यूबवेल लगाए जा रहे हैं। जब तक पीने के पानी की पक्की और स्थाई व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक ट्यूबवेलों के पानी से काम चलाया जाएगा।

जो काम पहले होना था, वह आखिर में किया शुरू

हैबतपुर के मेडिकल कॉलेज में पीने के पानी की व्यवस्था करने का जो काम बिल्डिंग बनने से पहले होना था, वह सबसे अंत में शुरू हुआ। 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की इतनी बड़ी परियोजना का निर्माण कार्य जब शुरू हुआ तो किसी भी अधिकारी ने पीने के पानी की व्यवस्था की तरफ ध्यान नहीं दिया। कायदे से जब भी किसी बड़े संस्थान का निर्माण शुरू होता है, तो सबसे पहले पीने के पानी की व्यवस्था की जाती है। बात जब मेडिकल कॉलेज जैसी परियोजना की हो, तो पीने के पानी की व्यवस्था और भी ज्यादा जरूरी हो जाती है। अब कॉलेज के प्रथम चरण का निर्माण कार्य लगभग पूरा होने को है। लगभग डेढ़ साल पहले जींद के तत्कालीन डीसी डॉ. मनोज ने जब कॉलेज का निरीक्षण किया था तो उन्होंने पीने के पानी की व्यवस्था तुरंत करने के लिए कहा था। तत्कालीन डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी कॉलेज के निरीक्षण के दौरान पानी की अस्थाई व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे।

पेयजल के लिए करना होगा 3 साल का इंतजार

जन स्वास्थ्य विभाग शहर में पीने के लिए भाखड़ा नहर का पानी लाने की योजना पर काम कर रहा है। लगभग 380 करोड़ की इस परियोजना के पहले 2 चरणों के टेंडर हो चुके हैं। गांव बदौड़ी में जलघर का निर्माण होगा, जिसमें नरवाना के पास से भाखड़ा नहर का पानी पाइप लाइन के जरिए लाया जाएगा। उसके बाद पाइपलाइन से आगे जींद शहर को सप्लाई होगा। इसी सप्लाई को मेडिकल कॉलेज से जोड़ने की योजना है। इसमें 3 साल से ज्यादा का समय लगना तय है।

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