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जर्जर हो चुकी इमारतों में पढ़ रहे मासूमों की जिंदगी दांव पर

हिसार जिले के 27 सरकारी स्कूलों के मासूम, टपकती छतों और झड़ती दीवारों के बीच किताबें थामे ज़िंदगी की दुश्वारियों में पढ़ाई करते दिख रहे हैं। हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे लापरवाही करार दिया है। मंगाली...
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हिसार जिले के 27 सरकारी स्कूलों के मासूम, टपकती छतों और झड़ती दीवारों के बीच किताबें थामे ज़िंदगी की दुश्वारियों में पढ़ाई करते दिख रहे हैं। हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे लापरवाही करार दिया है। मंगाली गांव का सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। 22 कमरे गिरने के खतरे के कारण सील हो चुके हैं और 480 बच्चे खुले बरामदों में पढ़ाई को मजबूर हैं। डोभी में तो सभी 24 कमरे जर्जर हैं।

बच्चों को लाइब्रेरी और लैब में ठूंसकर पढ़ाया जा रहा है। बच्चों का कहना है कि बरसात में पानी टपकता है।

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हरियाणा राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस (सेवानिवृत्त) ललित बत्रा और सदस्यों– कुलदीप जैन व दीप भाटिया ने अपने आदेश में इसे अनुच्छेद 21 और 21ए (जीवन व शिक्षा का अधिकार) के उल्लंघन के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि और मानवाधिकार सार्वभौमिक घोषणा का भी सीधा हनन माना है। पिछले दिनों राजस्थान के जैसलमेर में स्कूल गेट गिरने से सात वर्षीय बच्चे की मौत और झालावाड़ में स्कूल भवन गिरने से 7 बच्चों की मौत का भी जिक्र आदेश में किया गया है।

आयोग ने सरकार को चेताते हुए कहा– ऐसे हादसे हरियाणा में न हों, इसके लिए अभी कार्रवाई जरूरी है। आयोग ने आठ सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई 30 अक्तूबर को होगी। शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, सेकेंडरी स्कूल एजुकेशन के महानिदेशक, हिसार के जिला उपायुक्त और जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी किया है।

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