मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी यमुनानगर के कलेसर में श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में उनके नाम पर वन, वन्य जीव एवं जैव विविधता संरक्षण ब्लॉक का उद्घाटन कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने श्री गुरु तेग बहादुर जी वन एवं वन्य जीव संरक्षण ब्लॉक में विद्यार्थियों के साथ 350 पौधे लगाए और इस राष्ट्रीय उद्यान में सफारी ट्रेल का शुभारंभ और श्री गुरु तेग बहादुर द्वार का उद्घाटन भी किया।मुख्यमंत्री ने ए.आई. आधारित मॉनिटरिंग टॉवर, ट्री कैनोपी वॉक और तीन स्तरीय वॉच टावरों का शिलान्यास भी किया। उन्होंने यमुनानगर के प्रतापनगर, किशनपुरा के 45 एकड़ में बनने वाले कृषि महाविद्यालय का नाम श्री गुरू तेग बहादुर जी के नाम पर रखने तथा यमुनानगर कपालमोचन सडक़ बाईपास की फिजिबलिटी चैक कर उसके निर्माण की भी घोषणा की।मुख्यमंत्री ने कहा कि कलेसर की इस हरी-भरी धरा पर एक असीम ऊर्जा का अनुभव हो रहा है। हम सभी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन रहे हैं, जिसमें यह ब्लॉक, प्रकृति, आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्यों के संगम का प्रतीक बनेगा। उन्होंने हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर जी को शीश झुकाकर नमन किया। उन्होंने कहा कि यह वन प्रदेश के वन संरक्षण और जैव विविधता के संवर्धन में मील का पत्थर साबित होगा, जो श्री गुरु तेग बहादुर जी के पर्यावरण के प्रति प्रेम की विरासत को आगे बढ़ाएगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंद की चादर नवम पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर जी त्याग, करुणा साहस की मिसाल हैं। उन्होंने दुनिया को सिखाया है कि सच्ची शक्ति दूसरों की रक्षा में छिपी होती है। सच्चा धर्म वही है, जिसमें प्रकृति, प्राण और मनुष्य तीनों के प्रति समान प्रेम हो। प्रकृति उनके व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा है। शांत जल की गहराई, घने पेड़ों की विनम्रता और पर्वतों जैसी दृढ़ता श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन में झलकती है। इसलिए, आज कलेसर में गुरुजी के नाम पर यह वन, वन्य जीव एवं जैव विविधता संरक्षण ब्लॉक स्थापित होना, उनकी शिक्षाओं का जीवंत रूप है।मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति में वन शिक्षा, साधना और लोक कल्याण के केंद्र रहे हैं। आश्रम परंपरा, गुरु परंपरा, इन सबका आधार प्रकृति ही रही है। सिख इतिहास में भी कई ऐसे वृक्ष जुड़े हैं, जो गुरुजी के जीवन से संबंध रखते हैं। इनमें दुखभंजन बेरी वृक्ष तो संकट के समय शांति और आश्रय का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर, हमें इन चुनौतियों से निपटने के लिए स्वच्छता, पौधारोपण और जीव संरक्षण को प्राथमिकता देनी होगी। इसलिए राज्य में वनों को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई गई हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के हर कोने को हरा-भरा बनाने का लक्ष्य है। हम केवल पेड़ नहीं लगा रहे, बल्कि जीवन लगा रहे हैं, जो हवा को शुद्ध करने वाले फिल्टर का काम करेंगें। हम उन जड़ों को मजबूत कर रहे हैं, जो हमारी धरती को बांधकर रखती हैं और उसे बंजर होने से बचाती हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 5 जून, 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर शुरू किए गए एक पेड़ मां के नाम रूपी अनूठे अभियान के तहत 1.87 करोड़ पौधे लगाए गए। इस वर्ष दूसरे चरण के तहत 2.10 करोड़ पौधे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से अब तक 18 करोड़ पौधे लगाए जा चुके है।मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी वानिकी को बढ़ावा देने के लिए भी विशेष योजनाएं शुरू की हैं, ताकि शहरों में भी हरियाली बढ़े। सरकार ने पेड़ों की अवैध कटाई को रोकने और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कड़े कदम उठाए है। दक्षिण हरियाणा में हरित अरावली कार्य योजना भी शुरू की है। केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा बनाई गई यह परियोजना अरावली पहाडिय़ों के चार राज्यों में लागू की जा रही है, जिसमें हरियाणा के पांच जिले शामिल हैं।