सोनीपत, 13 दिसंबर (निस)
सिंघु-कुंडली बॉर्डर से लगातार तीसरे दिन किसानों की रवानगी जारी रही। सोमवार को किसानों का आखिरी जत्था सामान व वाहनों के साथ रवाना हुआ। इससे पहले, किसानों की सहायता के लिए लगातार चलाया जा रहे अस्पताल को भी समेट लिया गया। हालांकि, इस दौरान एक वैन में मोबाइल अस्पताल चालू रखा जो वापस लौट रहे किसानों के साथ चलेगा और कहीं पर भी जरूरत पड़ने पर किसानों का इलाज करेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा व सरकार के बीच सभी मांगों को लेकर 9 दिसंबर को सहमति बनने के बाद मोर्चा ने आंदोलन को स्थगित करने का ऐलान किया था और 11 दिसंबर से किसानों की घर वापसी का निर्णय लिया था। इसी कड़ी में शनिवार, रविवार के बाद सोमवार को भी किसानों की रवानगी जारी रही। हालांकि, सोमवार करीब 100 किसानों का मात्र एक जत्था सिंघु बार्डर पर डटा हुआ था, जो फिलहाल सफाई व मलबा उठाने में प्रशासन का सहयोग कर रहा था। इस जत्थे में शामिल किसानों ने रवाना होने से पहले उन लोगों से मुलाकात की, जो आंदोलन के दौरान उनके मददगार रहे। पटियाला के किसान चरणजीत ने बताया कि उनके आंदोलन को हरियाणा के लोगों ने शक्ति दी। उन्होंने कहा कि सहयोग के लिए वे हरियाणा के लोगों का कर्ज कभी नहीं चुका सकते। रवाना होने से पहले किसानों ने किसान एकता के नारे भी लगाए।
पहले दिन आए थे तो बिना दूध की चाय पी थी
किसान नेता जोगेंद्र सिंह उगराहां ने कहा कि हरियाणा के किसानों ने किस कदर मदद की वह काबिले तारीफ है। जब वे आंदोलन के पहले दिन सिंघु बॉर्डर पर पहुंचे तो उन्हें बिना दूध की चाय पीनी पड़ी थी, लेकिन अगले दिन हरियाणा से इतना दूध आ गया कि किसानों के बर्तन कम पड़ गए। यहां से सब्जी से लेकर लस्सी व अन्य राशन काफी मात्रा में आया, जिसके कारण किसानों में आत्मविश्वास आया और संघर्ष करने की शक्ति पैदा हुई। किसान आईटी सैल के सदस्य दीप खत्री ने बताया कि किसानों के जाने के बाद भी सिंघु बॉर्डर बंद है। यदि किसानों ने रास्ता रोका होता तो उनके जाते ही खुल जाता, लेकिन यह रास्ता सरकार ने रोका था, जिसे अब सरकार ही तुड़वा रही है।