झज्जर, 9 सितंबर (हप्र)
तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा की गई एमएसपी बढ़ोतरी को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा बढ़ाया गया एमएसपी फसलों के लागत मूल्य से बेहद कम है। इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला। किसानों ने गेहूं पर 2800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से एमएसपी निर्धारित करने की मांग की है। फसलों पर जारी एमएसपी को भी आंदोलनकारी किसानों ने ऊंट के मुंह में जीरा करार दिया है। बीकेयू के महासचिव प्रगट सिंह,किसान नेता बलदेव सिंह व कुलवंत सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार ने जिस तरीके से गेहूं, सरसों व अन्य फसलों पर एमएसपी निर्धारित किया है। वह ठीक तो है लेकिन फसलों के लागत मूल्य से बेहद कम होने के कारण संयुक्त मोर्चा इसे नकार रहा है। डीजल और डीएपी खाद के दामों में लगातार वृद्धि होने से फसल का लागत मूल्य साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा जो एमएसपी बढ़ाई गई है वह लागत मूल्य के मुकाबले बेहद कम है। वहीं, हरियाणा सरकार द्वारा गन्ने के दामों में बढ़ोतरी करने पर उनका कहना है कि यह सही है। एक तरफ पंजाब के किसानों को 200 करोड़ रुपये बकाया लेने के लिए प्रदर्शन करने पड़े। वहीं हरियाणा में यह बढ़ोतरी काफी अच्छी है। किसानों ने एक बार फिर से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है। अब किसान 27 सितंबर को भारत बंद करने जा रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि 27 सितंबर को देश भर में सरकार के खिलाफ कर्फ्यू जैसा माहौल देखने को मिल सकता है। इस दिन किसान राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे मार्ग को पूरी तरह से बंद रखने जा रहे हैं।
‘भूमि अधिग्रहण से किसानों का गला घोटा’
भिवानी (हप्र) : किसान दस माह से कितलाना टोल पर धरने पर बैठा है, लेकिन सरकार उनकी मांग सुनने की बजाए किसानों पर लाठियां बरसाकर उनकी आवाज को दबाना चाहती है। जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होगी, किसान न तो डरेगा, न झुकेगा और न ही घर वापस करेगा। कितलाना टोल पर जारी किसानों के धरने को संबोधित करते हुए किसान नेता कमल सिंह प्रधान ने कही। धरने की अध्यक्षता सांगवान खाप से नरसिंह सांगवान, श्योराण खाप से विजेंद्र बेरला, फौगाट खाप से कुलदीप नंबरदार, युवा कल्याण संगठन से कमल सिंह प्रधान, अखिल भारतीय किसान सभा से मा. शेर सिंह, रिटायड्र कर्मचारी यूनियन से रत्तन जिंदल, महिला शक्ति से कृष्णा राशीवास, बाला राशीवास, संतरा डोहकी, प्रेम कितलाना ने की। कमल सिंह प्रधान ने कहा कि एक तरफ तो किसान कृषि कानूनों के विरोध में पिछले दस माह से धरनारत है, वही सरकार ने भूमि अधिग्रहण का नया बिल लाकर किसानों का गला घोंटने का काम किया है।
‘किसान सड़क पर बैठने को मजबूर ’
भिवानी (हप्र) : हरियाणा बिजली वितरण निगम की कारगुजारियों व प्रशासन की अनदेखी के चलते देश की जनता का पेट भरने वाला किसान आज सड़कों पर बैठकर अपने हकों की आवाज उठाने को मजबूर हो रहे हैं। यह बात भाकियू जिला अध्यक्ष राकेश आर्य ने गांव निमड़ीवाली में जारी किसानों के धरने को संबोधित करते हुए कही। आर्य ने कहा कि प्रदेश सरकार ने गन्ना के एमएसपी पर 12 रूपये की बढ़ोत्तरी कर किसानों के भद्दा मजाक करने का काम किया है। बृहस्पतिवार को धरने की अध्यक्षता कुलबीर बोहरा, राजेंद्र डोहकी, रघुबीर खरबास व राजकुमार ने की।
लाठीचार्ज के विरोध में सीएम का फूंका पुतला
रेवाड़ी (निस) : करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने बृहस्पतिवार को गांव डहीना के बस स्टैंड पर मुख्यमंत्री का पुतला जलाया। संगठन के जिला सचिव रामकुमार ने कहा कि 28 अगस्त को मुख्यमंत्री का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस ने बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज किया। जिसमें बहुत से किसानों को गंभीर चोटें आई व एक किसान की मौत भी हो गई। किसानों ने लाठीचार्ज का खुला आदेश देने वाले एसडीएम को नौकरी से हटाने व हत्या का मुकदमा दर्ज करने, मृतक किसान के परिवार को मुआवजा देने की मांग रखी।
बाढड़ा में कल महापंचायत, लेंगे बड़ा फैसला
बाढड़ा (निस) : करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज करने व किसान संगठनों की मांगों को दरकिनार करने के विरोध में भाकियू पदाधिकारियों ने आपात बैठक की और सरकार की किसान व कृषि विरोधी नीतियों की निंदा की। इस अवसर पर उन्होंने 11 सितंबर को पंचायत कर जिले में आंदोलन शुरू करने की रूपरेखा बनाने का फैसला किया। किसान भवन में भाकियू अध्यक्ष धर्मपाल बाढड़ा की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस अवसर पर महासचिव हरपाल भांडवा ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार कृषि क्षेत्र में तीन कानूनों को लागू करने पर अड़ी हुई है जो केवल पूंजीपतियों के हितों को साधने के लिए हैं। करनाल में 28 अगस्त को निर्दोष किसानों पर लाठीचार्ज व अब बार बार किसानों पर पानी की बौछारें कर सरकार अंग्रेजी कानून को लागू करने की फिराक में लेकिन प्रदेश का किसान एकजुटता से उसका विरोध किया जाएगा। पिछले वर्ष के रबी व खरीफ सीजन दोनों समय में ही प्राकृतिक आपदाओं से पहले सरसों गेहूं व फिर कपास बाजरे की फसल तबाह हो गई थी लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो किसानों ने रोष मार्च निकाला और उसके बाद सरकार ने अलग अलग समय में स्पेशल गिरदावरी करवा कर रबी सत्र के पीडि़तों के लिए 17 करोड़ की मुआवजा राशि दी वहीं कपास की रिपोर्ट का मुआवजा अभी जारी नहीं किया गया है।