शहीदों के वंश की लाज रखेगी सरकार, स्वतंत्रता सेनानियों की पौत्रियों के विवाह पर 51,000 का शगुन
नायब सरकार ने बढ़ाया योजना का दायरा, जारी किए नए निर्देश
देश की आजादी के लिए सब कुछ न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों-आईएनए (भारतीय राष्ट्रीय सेना) कर्मियों के परिवारों के प्रति आभार और सम्मान की भावना को साकार करने की दिशा में हरियाणा सरकार ने सराहनीय कदम उठाया है।
राज्य सरकार ने ऐसे परिवारों की पौत्रियों, पुत्रियों और आश्रित बहनों के विवाह पर दी जाने वाली 51,000 रुपये की आर्थिक सहायता योजना को और अधिक संवेदनशील और व्यापक बनाते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी द्वारा जारी मंगलवार को निर्देशों में कहा गया है कि यदि किसी स्वतंत्रता सेनानी या आईएनए कर्मी और उनकी विधवा का निधन हो चुका है, तो उनके पुत्र या पुत्रवधू भी अपनी पुत्री - यानी स्वतंत्रता सेनानी की पौत्री के विवाह पर 51,000 रुपये की सहायता राशि प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकेंगे। अब तक यह अधिकार केवल जीवित सेनानियों या उनकी विधवाओं तक सीमित था, जिससे कई पात्र परिवार सहायता से वंचित रह जाते थे।
सरकार ने इस कदम को व्यावहारिक अस्पष्टता दूर करने और पात्र परिवारों को राहत देने वाला मानवीय निर्णय बताया है। नए निर्देशों के अनुसार, सहायता राशि के लिए आवेदन विवाह की तिथि से छह माह के भीतर करना अनिवार्य होगा। हालांकि विशेष परिस्थितियों में अधिकतम 12 माह तक आवेदन किया जा सकेगा। बशर्ते वैध कारण प्रस्तुत किए जाएं।
संबंधित उपायुक्त स्तर पर जांच के बाद आवेदन को मुख्य सचिव के अनुमोदन हेतु भेजा जाएगा। भुगतान की प्रक्रिया एडमिनिस्ट्रेटर जनरल एवं ऑफिशियल ट्रस्टी-कम-ट्रेजरर, चैरिटेबल एंडोमेंट्स हरियाणा के माध्यम से पूरी की जाएगी।
डीबीटी से सीधे खाते में पहुंचेगी सहायता राशि
सरकार ने स्पष्ट किया है कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह सहायता राशि केवल आधार-लिंक्ड बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से ही दी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि राशि बिना किसी देरी या बिचौलिये के सीधे लाभार्थी तक पहुंचे। सरकार ने नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) को इस योजना के तहत ‘कन्यादान अनुदान’ के लिए वेब-आधारित आवेदन प्रणाली तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से लाभार्थी घर बैठे आवेदन कर सकेंगे और उसकी स्थिति की निगरानी भी कर पाएंगे। इस कदम से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को किसी सरकारी दफ्तर के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे।

