कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 29 जुलाई
हिसार के पुट्ठी समैन गांव की 85 वर्षीय फूला देवी के लिए सरकार के कागजों में जगह नहीं बन पाई, तभी तो उन्हें कागजों में ‘मृत’ बता दिया गया। अब वह खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद में लगी हैं। फूला देवी को सरकारी कागजों में करीब साढ़े तीन माह पूर्व 15 अप्रैल, 2022 को मार दिया गया। हालांकि फूला देवी प्रतिदिन सुबह 5 बजे अपने बेटे के घर के आंगन में घूमती हैं और दैनिक दिनचर्या के बाद पड़ोस की महिलाओं से मुलाकात भी करती हैं। सरकारी विभाग के अलावा उन्हें कोई ‘भूत’ नहीं मानता। पेंशन बनाने वाले विभाग, जिला समाज कल्याण के कर्मचारी ने गत 9 जून को दूरभाष पर इस ‘मृतक’ महिला से बात भी की, लेकिन विडंबना यह है कि सरकारी कार्यालय में आदमी से बड़ा कागज है। यह कागज इतना शक्तिशाली है कि सीएम-विंडो भी इसके सामने बौनी हो गई है।
जिसे विभाग मृत मान रहा है, वही फूला देवी गत 6 मई को बैंक गईं और मार्च, 2022 की लंबित अपनी पेंशन भी निकलवा लाईं। फूला देवी के पुत्र शुभराम पानू ने बताया कि मामले का पता चलने पर उनकी मां ने गत 1 जून को सीएम विंडो में शिकायत दी कि वह बुढ़ापा पेंशन ले रही हैं और अभी जीवित हैं। लेकिन उन्हें मृत दर्शा कर बुढ़ापा पेंशन बंद कर दी गई। उन्होंने बैंक जाकर मार्च की पेंशन निकलवाने का भी हवाला दिया। फूला देवी ने मांग की कि इस पूरे मामले की जांच करवाई जाए और जिस भी अधिकारी ने बिना सबूत के उनको मृत दर्शाया है, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने तुरंत पेंशन बहाली की मांग की।
सीएम विंडो की इस शिकायत पर हिसार के जिला समाज कल्याण विभाग ने गत 9 जून को एक्शन टेकन रिपोर्ट भी तैयार कर ली जिसमें लिखा है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) के डाटा में फूला देवी को मृतक दर्शाया गया है। इस बारे में गत 8 जून, 2022 को मुख्यालय से अनुरोध किया गया है कि फूला देवी की पेंशन बहाल कर दी जाए। अब फूला देवी को पेंशन बहाली का आश्वासन तो मिला है, लेकिन इंतजार है मुख्यालय से स्वीकृति मिलने का। अब यह स्वीकृति कब मिलेगी और फूला देवी को ‘कागज में जिंदा’ कब किया जाएगा, इसका किसी को पता नहीं।
यूपी के लाल बिहारी ने 18 साल लड़ी थी लड़ाई
उत्तर प्रदेश के किसान लाल बिहारी का भी केस ऐसा ही था। उन्होंने 18 सालों तक खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारों से संघर्ष किया। किसी तरह उनका जिंदा होना साबित हुआ तो बाद में भी फिर कई सरकारी पेच फंस गए। लाल बिहारी की कहानी पर पंकज त्रिपाठी अभिनीत ‘कागज’ फिल्म भी बनी थी, हालांकि इस पर भी कुछ विवाद हुए थे।
आरजीआई के डाटा में महिला को मृत दर्शाया हुआ है। महिला को आरजीआई डाटा ठीक करवाना होगा, इसके बाद ही पेंशन बहाल होगी।
महाबीर गोदारा, जिला समाज कल्याण अधिकारी