स्मृति, स्थापत्य और सांस्कृतिक विरासत की धरोहर को सहेज रही सरकार
रानी की छतरी : बल्लभगढ़ की पहचान को मिली संजीवनी, केंद्र ने 1.33 करोड़ मंजूर किए
‘जहां समय की धूल में छिपी थी प्रेम की रोशनी, रानी की छतरी अब फिर सुनाएगी वो अनकही कहानी।’ बल्लभगढ़ की गलियों में इतिहास की एक अनमोल धरोहर सांसें लेती है - रानी की छतरी। 19वीं सदी की शुरुआत में बनी यह स्मृति-स्थल केवल राजा अनिरुद्ध सिंह के प्रति रानी के प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक नहीं, बल्कि राजपूत और इस्लामी स्थापत्य का अद्भुत संगम भी है। अब केंद्र सरकार ने इसके 1.33 करोड़ रुपये के जीर्णोद्धार की मंजूरी देकर इस विरासत को फिर से संवारने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
राजा अनिरुद्ध सिंह (1818 तक बल्लभगढ़ के शासक) की स्मृति में बनी यह छतरी और उससे जुड़ा बावड़ीनुमा टैंक आज भी उस दौर की सामाजिक परंपराओं और रानियों की भूमिका की झलक दिखाता है। यह स्मृति-स्थल न केवल राजा के प्रति रानी के स्नेह और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि बल्लभगढ़ की पहचान और गौरव का भी हिस्सा है। जीर्णोद्धार पूरा होने के बाद यह स्मारक बल्लभगढ़ की शान को पुनर्जीवित करेगा और आने वाली पीढ़ियों को यह अहसास कराएगा कि धरोहरें सिर्फ अतीत की निशानी नहीं, बल्कि भविष्य को दिशा देने वाली प्रेरणा हैं। यह स्मारक आने वाले समय में बल्लभगढ़ की पहचान को नई रोशनी देगा और पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनेगा। ’
टैंक का महत्व : संरचना से जुड़ा टैंक भी उतना ही उल्लेखनीय है। लाखौरी ईंटों से बनी इसकी दीवारें, अष्टकोणीय बुर्ज और मेहराबी कोठरियां राजस्थान-हरियाणा क्षेत्र में प्रचलित जलाशय स्थापत्य शैली को दर्शाती हैं। यह केवल जल संग्रहण का साधन नहीं था, बल्कि सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों का भी केंद्र रहा करता था। वर्षों की उपेक्षा ने इस धरोहर की सुंदरता को फीका कर दिया था। मौसम और समय की मार ने दीवारों पर दरारें और चित्रकारी पर धुंध जमा दी थी। कई जगह पत्थर झरने लगे थे। अब केंद्र सरकार ने इसके संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए 1 करोड़ 33 लाख रुपये मंजूर किए हैं। कार्य शुरू हो चुका है और इसे एक साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
छतरियों से सजे झरोखे
रानी की छतरी एक चौकोर योजना पर बनी बरादरी शैली की सभा मंडप है, जो ऊंचे चबूतरे पर खड़ी है। इसमें इस्लामी बहु-खिल्लीदार और नुकीली मेहराबें, राजपूत शैली के झरोखे बंगालदार छतरियों से सजाए गए हैं। छत पर प्याज आकार का गुंबद लिए केंद्रीय छतरी इसकी भव्यता को और बढ़ाती है। भवन के अंदरूनी हिस्से में सफेद आरेश पलस्तर और चित्रकारी, जबकि बाहर अष्टकोणीय बुर्ज और गुंबददार छोटी छतरियां स्थापत्य कला को और अनूठा बनाती हैं।
बल्लभगढ़ की रानी की छतरी प्रदेश की अमूल्य धरोहर है। यह हमारे इतिहास, संस्कृति और स्थापत्य का अद्भुत संगम है। सरकार ने इसके संरक्षण के लिए पूरा बजट मंजूर किया है। अगले एक साल में यहां जीर्णोद्धार का काम पूरा कर दिया जाएगा। हमारा प्रयास है कि इसे न केवल स्थानीय पहचान मिले, बल्कि इसे राज्य के सांस्कृतिक पर्यटन नक्शे पर भी प्रमुख स्थान मिले। ~
- डॉ. अरविंद शर्मा, संस्कृति व विरासत मंत्री

