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सरकार ने नहीं दिया आरटीई का पैसा, निजी स्कूल संचालकों में बढ़ा रोष

तीन साल से अटका बकाया, स्कूलों पर बोझ
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हरियाणा सरकार की लापरवाही से निजी स्कूलों पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। राइट टु एजुकेशन के तहत तीन साल से बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ है। सरकार ने प्रति छात्र 1760 रुपये मासिक तय किया हुआ है, लेकिन यह पैसा अब तक स्कूलों को नहीं मिला। नतीजा यह है कि निजी स्कूल संचालकों में आक्रोश है और वे इसे शिक्षा के अधिकार पर सीधा हमला बता रहे हैं। हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता सौरभ कपूर ने सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग निजी स्कूलों पर तो कार्रवाई करने को तैयार है, लेकिन बकाया चुकाने की जिम्मेदारी से बच रहा है। स्कूल बिना भुगतान के भी छात्रों को पढ़ा रहे हैं, मगर विभाग को इसकी चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि स्थिति को और गंभीर बना रहा है, शिक्षा विभाग का कदम - एमआईएस (प्रबंधन सूचना प्रणाली) पोर्टल को ब्लॉक करना। कपूर के मुताबिक, तकनीकी कारणों से कई स्कूल समय पर सीटों की घोषणा नहीं कर पाए, लेकिन विभाग ने उनका पोर्टल ही बंद कर दिया। यह कदम, समस्या का समाधान करने की बजाय, निजी स्कूलों के लिए नई दिक्कतें पैदा कर रहा है।

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नियम 134-ए के बाद भी समाधान नहीं

याद दिला दें कि 2022 में हरियाणा में नियम 134-ए को हटाकर सीधे आरटीई लागू किया गया था। उस समय कहा गया था कि विवाद खत्म हो जाएगा और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाने की प्रतिपूर्ति समय पर होगी। लेकिन हकीकत में हालात जस के तस हैं। निजी स्कूल संचालकों को डर है कि कहीं आरटीई का भी वही हाल न हो जाए, जो पहले 134-ए का हुआ था।

1,128 स्कूलों पर कार्रवाई

इस साल सरकार ने 10,744 प्राइवेट स्कूलों को आरटीई सीटें घोषित करने के आदेश दिए थे। चेतावनी के बावजूद हजारों स्कूल इसमें विफल रहे। नतीजतन, विभाग ने 30 से 70 हजार रुपये तक का जुर्माना ठोका और कारण बताओ नोटिस जारी किए। अब तक 1,128 स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया जा चुका है।

 

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