रेवाड़ी, 18 मई (हप्र)
सरकार द्वारा प्रदेश की 4 नगरपालिकाओं के प्रधान पद ओबीसी के लिए आरक्षित किए जाने के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने इन्हें सामान्य श्रेणी में परिवर्तित करने के आदेश दिए हैं। इस बारे कांग्रेस ओबीसी सैल के राष्ट्रीय चेयरमैन कै. अजय सिंह यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने कोर्ट के सामने पिछड़ा वर्ग के पक्ष को ठीक ढंग से नहीं रखा, उसी का नतीजा है कि कोर्ट ने इस वर्ग को आरक्षण दिए बिना ही निकाय चुनाव कराने के आदेश जारी किए हैं। यह सब भाजपा की सोची समझी चाल है। भाजपा शुरू से ही आरक्षण खत्म करना चाहती है और यह सरकार पिछड़ा वर्ग विरोधी है। उन्होंने कहा कि ओबीसी की विभिन्न मांगों को लेकर 28 मई को जींद में एक विशाल सम्मेलन बुलाकर सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।
विदित हो कि प्रदेश सरकार ने बावल, झज्जर, बहादुरगढ़ व नांगल चौधरी की नगरपालिकाओं के प्रधान पद को ओबीसी के लिए आरक्षित किया था। रेवाड़ी के बावल कस्बा के नागरिक रामकिशन महलावत ने सरकार के इस ओबीसी आरक्षण के खिलाफ 17 सितंबर, 2021 को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
आंकड़ों का दिया था हवाला
महलावत ने याचिका में कई बिंदुओं को आधार बनाते हुए सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि जब तक ओबीसी जनसंख्या के प्रदेश स्तरीय आंकड़े नहीं हों, तब तक प्रधान पद ओबीसी के लिए आरक्षित करने का कोई औचित्य नहीं बनता। उन्होंने कहा कि सरकार का निर्णय पूरी तरह से गैर-संवैधानिक था। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए ओबीसी आरक्षित चारों पालिकाओं के प्रधान पद सामान्य कैटेगिरी में परिवर्तित कर दिए हैं।