नवीन पांचाल/हप्र
गुरुग्राम, 10 अक्तूबर
देश-दुनिया में हरियाणा का नाम रोशन करने वाले 9 नामचीन खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी के बावजूद अपना भविष्य अधर में लटकता दिखाई दे रहा है। वर्ष 2007 से 2010 के बीच हरियाणा में डीएसपी की नौकरी ज्वाइन करने वाले इन खिलाड़ियों को गृह विभाग ने अभी तक कंफर्मेशन नहीं दी है, जबकि इनके बाद भर्ती हुए 16 डीएसपी को एएसपी के तौर पर पदोन्नत कर दिया।
हरियाणा के छोटे-छोटे गांवों व कस्बों काे अपने तमगों से दुनियाभर में चमकाने वाले खिलाड़ियों की उपलब्धियों को ध्यान में रखकर सरकार ने वर्ष 2007 से 10 के बीच नयी खेल नीति लागू कर ममता खरब, जोगिंद्र शर्मा, गीतिका जाखड़, सरदारा सिंह, अखिल कुमार, जितेंद्र कुमार, रमेश गुलिया, सुरिंद्र कौर व ममता सौदा को हरियाणा पुलिस में डीएसपी के तौर भर्ती किया था। जिस समय इन खिलाड़ियों को डीएसपी का पद आॅफर किया गया उस समय इनमें से ज्यादातर विभिन्न सरकारी नौकरियों में कार्यरत थे। इनमें से कई की 10-10 साल से ज्यादा पुरानी नौकरी हो गई थी।
एक दशक से भी पहले भर्ती किए गए इन खिलाड़ियों का दर्द तब बाहर आया जब वर्ष 2011-12 बैच के डीएसपी को एएसपी के तौर पर पदोन्नति मिली। खेल कोटे से डीएसपी बने खिलाड़ियों ने सरकार से गुजारिश की कि जूनियर अधिकारियों को बेशक पदोन्नत करें, लेकिन उनकी पदोन्नति भी न रोके, लेकिन इनकी सुनवाई नहीं हुई। बताया जाता है कि ट्रेनिंग पूरी करने के बाद ही इन्हें नियमानुसार कंफर्म किया जा सकता है। दूसरी तरफ, खिलाड़ी से डीएसपी बने अधिकारियों का तर्क है, जब अन्य अधिकारियों की तरह ये किसी मामले की जांच करते, केस की चार्जशीट अदालत में फाइल करते हैं तथा बतौर डीएसपी सभी सरकारी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते हैं तो असामान व्यवहार क्यों।
बाद में भर्ती अफसरों के सीनियर बनने का दर्द खेल कोटे से डीएसपी बने खिलाड़ियों को अदालत ले पहुंचा। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इन्होंने कहा है कि पदोन्नति में उनकी वरिष्ठता की अनदेखी की गई है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार इस 14 अक्तूूबर तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।