Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

आज तय होगा हरियाणा के ‘लाल परिवारों’ का भविष्य

चौ़ देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल परिवार के कई सदस्य चुनावी समर में
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 7 अक्तूबर

Advertisement

हरियाणा में इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजे हरियाणा के ‘लाल परिवारों’ का राजनीतिक भविष्य भी तय करेंगे। तीनों ही लाल परिवारों के 11 ‘लाल’ इस बार चुनावी रण में डटे हैं। सबसे रोचक मुकाबला तोशाम और रानियां हलके में देखने को मिला। यहां एक ही परिवार के सदस्य आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो और चौटाला पुत्र डॉ़ अजय सिंह चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) की साख भी इस बार दांव पर लगी है।

एक रोचक पहलू यह भी है कि इस बार भूतपूर्व सीएम चौ़ बंसीलाल और चौ़ भजनलाल परिवार के सदस्य भी अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद किरण चौधरी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता हासिल कर ली। भाजपा ने किरण को दीपेंद्र हुड्डा के रोहतक से सांसद बनने के बाद खाली हुई सीट पर राज्यसभा भेज दिया है। उनकी बेटी व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी तोशाम हलके से भाजपा टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं।

श्रुति चौधरी भूतपूर्व सीएम चौ़ बंसीलाल की पोती और उनके छोटे बेटे स्व़ सुरेंद्र सिंह की बेटी हैं। कांग्रेस ने बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी को यहां से उम्मीदवार बनाया हुआ है। अनिरुद्ध सिंह, बंसीलाल के ज्येष्ठ पुत्र रणबीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं। रणबीर सिंह महेंद्रा भी पहले विधायक रह चुके हैं। तोशाम की सीट पर यह पहला मौका है जब बंसीलाल परिवार के दो सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर कांटे का मुकाबला बना हुआ है। चुनाव दोनों में से कोई भी जीते, लेकिन बंसीलाल परिवार के सदस्य की इस बार भी विधानसभा में एंट्री तय मानी जा रही है।

चंद्रमोहन

वहीं दूसरी ओर भूतपूर्व सीएम चौ़ भजनलाल के परिवार से भी दो सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई कांग्रेस टिकट पर पंचकूला से उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला दो बार के विधायक और स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के साथ है। 2019 में चंद्रमोहन, ज्ञानचंद गुप्ता के हाथों 5 हजार सेे लगभग मतों से चुनाव हार गए थे। इस बार चंद्रमोहन ने जिस मैनेजमेंट के साथ चुनाव लड़ा, उससे उनका पलड़ा भारी दिख रहा है। हालांकि पूरी तस्वीर मंगलवार को नतीजों के बाद ही साफ होगी। वहीं भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई परिवार की परंपरागत सीट आदमपुर में ही कड़े मुकाबले में फंसे हैं। 1968 के बाद से 2019 तक इस हलके से हर आम चुनाव और उपचुनाव भजनलाल परिवार ही जीतता आ रहा है। भव्य बिश्नोई को कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रप्रकाश ने कड़ी टक्कर दी है। चंद्रप्रकाश हरियाणा में आईएएस अधिकारी रहे हैं। वे हरियाणा सूचना आयोग में राज्य सूचना आयुक्त भी रहे। यहां टर्म पूरी होने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए और राजनीति में एक्टिव हो गए।

एक नहीं हो सका परिवार

इनेलो व चौटाला परिवार में बिखराव के बाद जब जजपा अस्तित्व में आई तो उस समय पार्टी को फिर से एक करने की मुहिम भी चली थी। पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भी दोनों भाइयों, अजय सिंह चौटाला व अभय सिंह चौटाला को एक करने की कोशिश की लेकिन दोनों भाइयों व परिवार के बीच दूरियां इतनी बढ़ चुकी थीं कि दोनों ने अलग-अलग राह पकड़ ली।

उचाना कलां में दुष्यंत की परीक्षा

2019 में इनेलो व चौटाला परिवार में हुए बिखराव के बाद डॉ. अजय सिंह चौटाला ने जननायक जनता पार्टी का गठन किया। अजय सिंह पुत्र दुष्यंत सिंह चौटाला के नेतृत्व में जजपा ने 2019 का विधानसभा चुनाव पूरी मजबूती के साथ लड़ा। पहले ही चुनाव में दुष्यंत 10 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे। दुष्यंत ने उचाना कलां से जीत हासिल की। भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो जजपा के साथ गठबंधन से सरकार का गठन हुआ। दुष्यंत चौटाला करीब साढ़े चार वर्षों तक भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम रहे। वे इस बार फिर जजपा टिकट पर उचाना कलां से चुनावी रण में डटे हैं। इस बार उनकी राहें मुश्किल लग रही हैं।

चौटाला पिता-पुत्र की अग्निपरीक्षा

अर्जुन चौटाला

इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ऐलनाबाद हलके से लगातार चौथी बार किस्मत आजमा रहे हैं। 2010 के उपचुनाव में उन्होंने इस सीट पर पहली बार जीत हासिल की थी। इसके बाद 2014 और 2019 का आम चुनाव जीता। 2021 के उपचुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की। इस बार कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल उन्हें तगड़ी टक्कर दे रहे हैं। वहीं उनके बेटे अर्जुन सिंह चौटाला रानियां सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले का सामना कर रहे हैं। अर्जुन के दादा व मनोहर व नायब सरकार में बिजली व जेल मंत्री रहे चौ. रणजीत सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उन्हें चुनौती दे रहे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी व पत्रकार रहे सर्वमित्र कम्बोज यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। यानी चौटाला पिता-पुत्र के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।

जजपा को लोस में लग चुका झटका

मई में हुए लोकसभा चुनावों में दुष्यंत चौटाला की जजपा को तगड़ा झटका लग चुका है। इस चुनाव में दुष्यंत की मां और बाढ़ड़ा से विधायक नैना सिंह चौटाला ने हिसार से चुनाव लड़ा था। हालांकि दुष्यंत ने खुद चुनाव नहीं लड़ा। दुष्यंत की पार्टी के उम्मीदवार जमानत तक नहीं बचा सके। माना जा रहा है कि 2019 में भाजपा के खिलाफ चली हवा में 10 विधायकों के जीतने के बाद दुष्यंत चौटाला का भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला अब उन्हें भारी पड़ रहा है। अब विधानसभा में भी जजपा का खाता खुलने की संभावना काफी कम दिखती हैं। अगर नतीजे ऐसे ही रहते हैं तो दुष्यंत के लिए भी आगे की राहें काफी मुश्किल रहने वाली हैं।

डबवाली में त्रिकोणीय जंग

अमित सिहाग

पूर्व डिप्टी पीएम चौ. देवीलाल परिवार के तीन सदस्यों ने डबवाली हलके में एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकी। पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पोते दिग्विजय सिंह चौटाला जजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। चौटाला के भाई जगदीश के बेटे आदित्य देवीलाल चौटाला इनेलो के उम्मीदवार हैं। वहीं देवीलाल परिवार के ही डॉ. केवी सिंह के बेटे व मौजूदा विधायक अमित सिहाग कांग्रेस टिकट पर चुनावी रण में डटे हैं। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है। वहीं भूतपूर्व विधायक व देवीलाल के पुत्र प्रताप सिंह चौटाला की पुत्रवधू सुनैना चौटाला फतेहाबाद से इनेलो की उम्मीदवार हैं।

इनेलो के लिए इसलिए अहम है चुनाव

इनेलो के लिए यह चुनाव इसलिए अहम है क्योंकि पार्टी 2005 के बाद से सत्ता से बाहर है। इस अवधि में पार्टी ने कई बुरे दौर भी देखे हैं। 2019 में पार्टी टूटने के बाद अभय सिंह चौटाला अकेले विधायक बने थे। हालांकि इस बार भी इनेलो विधायकों की संख्या बहुत अधिक होने की संभावना कम ही है। लेकिन इतना जरूर है कि अगर इनेलो 5 से 6 सीटों पर जीत हासिल करती है तो आने वाले समय में पार्टी स्टैंड कर जाएगी। अगर अभय सिंह चौटाला खुद ही चुनाव हार जाते हैं तो पार्टी के सामने आने वाले समय में चुनौतियों का पहाड़ खड़ा होगा।

Advertisement
×