ट्रेंडिंगमुख्य समाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाफीचरसंपादकीयआपकी रायटिप्पणी

जलाभिषेक का पहला मुहूर्त सुबह 4:15 तो दूसरा 8:32 बजे

शिवरात्रि पर पहर की पूजा का विशेष महत्व
आचार्य त्रिलोक महाराज
Advertisement

बुधवार को चतुर्थी होने पर श्रद्धालु भोले का जलाभिषेक करेंगे। प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर के आचार्य त्रिलोक महाराज ने बताया कि सावन शिवरात्रि का पावन पर्व हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल सावन शिवरात्रि 23 जुलाई बुधवार को है। महाशिवरात्रि के बाद सावन शिवरात्रि भोलेनाथ की पूजा के लिए सबसे बड़ा दिन माना जाता है। वैसे तो पूरे सावन माह में हर दिन शिव पूजा की जाती है, लेकिन सावन शिवरात्रि विशेष फलदायी होती है। इस दिन शिव भक्त महादेव को जल चढ़ाते हैं और सुख-समृद्धि के लिए रुद्राभिषेक कराते हैं। आचार्य ने बताया कि 23 जुलाई की सुबह 4:39 बजे चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी। इसके अलावा 23 तारीख को पूरे दिन शिव भक्त अपने आराध्य देवता को जल चढ़ा सकेंगे। पंचांग के अनुसार इस साल शिवरात्रि या फिर कहें सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 23 जुलाई को प्रातः 4:39 बजे से प्रारंभ होकर 24 जुलाई को सुबह 2:28 बजे तक रहेगी। आचार्य त्रिलोक ने बताया कि शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक का पहला मुहूर्त सुबह 4:15 बजे से 4:56 बजे तक है। जलाभिषेक का दूसरा मुहूर्त सुबह 8:32 बजे से लेकर सुबह 10:02 बजे तक रहेगा।  सनातन परंपरा में शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व माना गया है।

पहले प्रहर की पूजा - शाम 7:17 से रात 9:53 बजे तक

Advertisement

दूसरे प्रहर की पूजा - रात 9:53 से 12:28 बजे तक

तीसरे प्रहर की पूजा - रात 12:28 से 3:03 बजे तक

चौथे प्रहर की पूजा - रात 3:03 से सुबह 5:38 तक होगी

Advertisement
Tags :
Dainik Tribune Hindi NewsDainik Tribune newsharyana newslatest newsदैनिक ट्रिब्यून न्यूज