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मंदिर में 220 साल से जल रही अखंड ज्योत

दुर्गाष्टमी पर विशेष प्राचीन देवी भवन में पूरी होती हैं मुरादें, शानदार नक्क ाशी ने दिया भव्य रूप
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जगाधरी स्थित प्राचीन श्री देवी भवन मंदिर, जिसका भव्य रूप मन मोह लेता है। -निस
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अरविंद शर्मा/निस

जगाधरी, 15 अप्रैल

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जिले में कई प्राचीन धार्मिक स्थल हैं जो विश्व में प्रसिद्ध हैं। इनमें देश-विदेश के श्रद्धालुओं की गहरी आस्था हैं। इनमें प्राचीन देवी भवन मंदिर, प्राचीन सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर, प्राचीन स्वरूपेश्वर महादेव मंदिर, पातालेश्वर ज्योर्तिंलग सिद्ध पीठ दयालगढ़, गौरी शंकर मंदिर, स्वयंभू शिव मंदिर भटली, खेड़ा मंदिर जगाधरी, गंगा सागर मंदिर जगाधरी, शोभा राम मंदिर नाभ बूड़िया शामिल हैं। प्राचीन देवी भवन मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। मंदिर में 220 साल से अखंड ज्योत जल रही है।

मंदिर के पुजारी पंडित अतुल शास्त्री ने बताया कि यहां माता मनसा देवी के चरणों में श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं। यहां सच्चे मन से मांगी गई मन्नत मां जरूर पूरी करती है। मंदिर का निर्माण 1797 में शुरू हुआ था और 1803 में पूरा हुआ। इस मंदिर का निर्माण बूड़िया रियासत के वजीर जवाहर मल खत्री ने कराया था। कारीगरों ने बेहतरीन नक्काशी कर मंदिर को भव्य रूप प्रदान किया। पुजारी के अनुसार प्रारंभिक दौर में भवन का निर्माण एक किले के रूप में हुआ था। उस समय अंग्रेज भवन पर कब्जा लेने आए थे, लेकिन मंदिर की भव्यता और लोगों की आस्था ने उनके कदम रोक दिए और वे वापस लौट गए थे। इस बारे में जब वजीर जवाहर मल खत्री को भनक लगी और उन्होंने रातों-रात इस भवन को माता के मंदिर का रूप दे दिया। पहले मंदिर जंगल से घिरा हुआ था।

पुजारी की सातवीं पीढ़ी करती है पूजा

पंडित अतुल शास्त्री के मुताबिक सेठ देवेंद्र प्रकाश महेंद्रा परिवार मंदिर देखरेख में अहम योगदान देते हैं। मंदिर में वर्ष में दो बार मेला लगता है। लोग दूर-दराज से यहां मन्नत मांगने व सूखना उतारने के लिए आते हैं। अतुल के अनुसार वे सातवीं पीढ़ी में यहां पर सेवा कर रहे हैं। पहली पीढ़ी में स्वर्गीय अनंत राम, दूसरी में बिहारी लाल, तीसरी में पूर्णानंद, चौथी में जेष्ठा राम, पांचवीं में भगवती चरण, छठी में राजकुमार और सातवीं में वह मंदिर में नियमित रूप से पूजा अर्चना कर रहे हैं। जगाधरी में जो भी आया वह यहां से कभी मायूस नहीं गया। मां देवी व खेड़ा बाबा की दया सभी पर बरसती है।

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