नायब सरकार ने लापरवाह सिस्टम की कसी लगाम
हरियाणा सरकार ने सरकारी विभागों और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (पीएसई) की कार्यशैली पर सख्ती दिखाते हुए बड़ा कदम उठाया है। वित्त विभाग ने सोमवार को दो अलग-अलग आदेश जारी कर सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों और सीईओ को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे अपने विभागों में चल रहे प्रोजेक्ट्स और कंसल्टेंट्स की स्थिति की पूरी रिपोर्ट 15 दिन के भीतर पेश करें। सरकार ने पाया है कि पिछले कुछ समय में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और हाई वैल्यू प्रोजेक्ट्स के लिए कंसल्टेंट्स नियुक्त किए गए। ये कंसल्टेंट्स डीपीआर (डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट), आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल), पॉलिसी फॉर्मुलेशन, प्रोजेक्ट एक्सीक्यूशन और मॉनिटरिंग जैसे काम कर रहे हैं। लेकिन इनके कामकाज की कोई व्यवस्थित इवैल्यूएशन (मूल्यांकन) नहीं हुई। मुख्यमंत्री ने अब आदेश दिए हैं कि हर प्रोजेक्ट और उसमें लगे कंसल्टेंट के योगदान की नियमित समीक्षा की जाए।
तय होगा जारी रखना या टर्मिनेट करना : वित्त विभाग ने सभी विभागों को निर्देशित किया है कि वे निर्धारित प्रोफॉर्मा भरकर यह तय करें कि संबंधित कंसल्टेंट की सेवाएं जारी रखनी हैं या उसे रिप्लेस/टर्मिनेट करना है। यह निर्णय केवल प्रशासनिक सचिव स्तर पर ही लिया जाएगा और इसके लिए ठोस औचित्य और सिफारिशें देनी होंगी। उन प्रोजेक्ट्स पर विशेष जोर दिया गया है जो अधूरे हैं, लंबित पड़े हैं या जिनमें अनावश्यक देरी हो रही है। खासकर बजट घोषणाओं से जुड़े प्रोजेक्ट्स की जानकारी मांगी गई है। विभागों को रिपोर्ट में बताना होगा कि देरी के कारण क्या हैं, प्रोजेक्ट्स पर वित्तीय असर कितना होगा और आगे की राह (रोडमैप/सॉल्यूशन) क्या हो सकता है। इन आदेशों से साफ है कि सरकार अब देरी और लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी। मुख्यमंत्री का लक्ष्य है कि सरकारी प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे हों और जनता को सीधे तौर पर इसका फायदा मिले। साथ ही, कंसल्टेंट्स पर होने वाले खर्च की जवाबदेही भी तय होगी ताकि टैक्सपेयर्स का पैसा सही जगह इस्तेमाल हो सके।