कच्ची घोड़ी के कलाकारों का नृत्य बना आकर्षण का केंद्र
विभिन्न राज्यों के वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियों और उनके मधुर संगीत ने ब्रह्मसरोवर का समां बांध कर रख दिया। इन वाद्य यंत्रों की धुनों और लोक गीतों को सुनने के लिए ब्रह्मसरोवर के दक्षिण तट पर दर्शकों का तांता लग गया। इन प्रस्तुतियों को जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के कलाकार महोत्सव में विशेष तौर पर लेकर पहुंचे हैं। महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों का आयोजन किया जा रहा है। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र पटियाला की तरफ से ब्रह्मसरोवर के घाटों पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 के प्रथम चरण में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के साथ राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश राज्यों के कलाकार अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति को अपने नृत्यों और लोक गीतों के माध्यम से दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे है। यह कलाकार राउफ, कुल्लू नाटी, गाथा गायन, छपेली, शामी, गुदुम बाजा, करमा, राई और पंजाब के लुडी आदि लोक नृत्यों की प्रस्तुति दे रहे हैं।
महोत्सव में एनजेडसीसी की तरफ से हर वर्ष की भांती इस वर्ष भी स्टिक वॉकर कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया है। एनजेडसीसी के अधिकारी भूपेंद्र सिंह का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हर वर्ष कच्ची घोड़ी के कलाकार पहुंचते है। यह कलाकार राजस्थान से संबंधित हैं और इस बार भी कच्ची घोड़ी का ग्रुप यहां पहुंचा है। जब कच्ची घोड़ी के कलाकार शिल्प और सरस मेले में अपने नृत्य शुरू करते है तो युवाओं का हुजूम एकत्रित हो जाता है। यूथ ब्लड डोनेशन सोसाइटी द्वारा हर साल की तरह इस वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर के तट पर बूथ नंबर 747 पर ब्लड एवं स्वास्थ्य कैंप की सेवाएं जारी हैं। मुख्य अतिथि के रूप में डीएनटी बोर्ड के चेयरमैन जयसिंह पाल ने रक्तदान शिविर की शुरुआत की एवं रक्तदान किया।
