दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 अक्तूबर
1985 बैच के आईएएस विजयवर्धन ने हरियाणा के मुख्य सचिव की कुर्सी संभालते ही बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश की सियासी ‘नब्ज’ पकड़ते हुए उन्होंने नौकरशाही को स्पष्ट संदेश दिया है कि माननीयों के लिए उन्हें उपलब्ध रहना होगा और उनकी सुनवाई भी करनी होगी। बृहस्पतिवार को आदेश जारी करके उन्होंने सभी प्रशासनिक सचिवों को मंगलवार और बुधवार को कार्यालय में हाजिरी सुनिश्चित करने को कहा है।
इस तरह के आदेश जारी करने वाले वे पहले मुख्य सचिव नहीं हैं। पिछले दिनों पूर्व मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने भी ऐसे ही आदेश जारी किए थे। उन्होंने तो जिलों के डीसी-एसपी सहित दूसरे अधिकारियों को भी जनप्रतिनिधियों से मुलाकात के लिए समय तय करने को कहा था। इसके बाद भी सांसदों-विधायकों के अलावा दूसरे जनप्रतिनिधियों की यह शिकायत रहती है कि अफसर उनकी सुनवाई नहीं करते। कई विधायक तो यह आरोप भी लगाते रहे हैं कि अधिकारी फोन तक नहीं उठाते।
मुख्य सचिव द्वारा जारी किए गए आदेश में स्पष्ट किया गया है कि मंगलवार को दोपहर बाद 3 से लेकर शाम को पांच बजे तक प्रशासनिक सचिव अपने कार्यालयों में ही मौजूद रहेंगे। इसी तरह से सोमवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक उन्हें दफ्तरों में रहना होगा। अधिकारियों को दो-टूक कहा गया है कि इस टाइम पीरियड के दौरान वे किसी तरह की मीटिंग न रखें। अगर मीटिंग बहुत जरूरी है या किसी महत्वपूर्ण बैठक में उनका शामिल होना जरूरी है तो इसकी सूचना पहले देनी होगी।
जनप्रतिनिधियों जिनमें मुख्य रूप से विधायकों के लिए मंगलवार और बुधवार को प्रशासनिक सचिवों से मुलाकात का समय इसलिए तय किया गया है क्योंकि इन दोनों दिनों में ज्यादातर विधायक चंडीगढ़ में ही होते हैं। दरअसल, विधानसभा की अलग-अलग कमेटियों की बैठकें मंगलवार और बुधवार को ही होती है। ऐसे में विधायकों को प्रशासनिक सचिवों से मुलाकात में किसी तरह की दिक्कत भी नहीं आएगी। जनप्रतिनिधियों की समस्याओं ओर शिकायतों का तुरंत निपटारा करने को भी कहा है।
मुख्य सचिव ने सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इन दोनों दिनों के दौरान मुख्यालय से बाहर का टूर भी नहीं रखेंगे। बहुत जरूरी होने पर ही वे इन दो दिनों के दौरान मुख्यालय छोड़ेंगे।
अंदरखाने बढ़ रही नाराज़गी
गठबंधन सरकार में विधायकों का सरकार पर काफी दबाव है। सुनवाई नहीं होने से विधायक अंदरखाने काफी नाराज़ हैं। सूत्रों का कहना है कि इसी वजह से मुख्य सचिव ने ये आदेश दिए हैं। जिला अधिकारियों को भी निर्देश हो सकते हैं।
स्पीकर भी उठा चुके मुद्दा
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता के सामने भाजपा-जजपा विधायकों के अलावा विपक्षी दलों के विधायक भी मुद्दा उठा चुके हैं कि अफसर उनकी सुनवाई नहीं करते। इसके बाद स्पीकर ने इस बाबत सीएम मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की थी। सीएम के आदेश पर उनके प्रधान सचिव राजेश खुल्लर ने हाथों-हाथ अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों की सुनवाई करने को कहा था। इसके बाद तत्कालीन मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने लिखित में आदेश जारी किए थे।
नेताओं-अधिकारियों में हो चुका टकराव
खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल की तरह दूसरे कार्यकाल में भी नेताओं और अफसरों के बीच कई बार टकराव हो चुका है। समाज कल्याण राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव का एक महिला आईपीएस के साथ विवाद हो चुका है। गृह मंत्री अनिल विज का भी कई आईएएस और आईपीएस के साथ टकराव हो चुका है। सरकार में और भी कई ऐसे मंत्री व विधायक हैं, जिनकी जिलों के अफसरों के साथ अनबन हो चुकी है। इस टकराव के चलते कई अधिकारियों का तबादला भी हुआ।