विनोद जिन्दल/हप्र
कुरुक्षेत्र, 2 अगस्त
पिपली से शाहबाद की ओर जाते हुए पड़ने वाले गांव ईशरगढ़ में स्थित प्राचीन बावड़ी को एक धरोहर के रूप में विकसित किया जाएगा। ये जानकारी हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच ने दी। उन्होंने बताया कि जीटी रोड से केवल 200 मीटर की दूरी पर स्थित इस बावड़ी को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा।
उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच गांव ईशरगढ़ में स्थित पुरातन बावड़ी का निरीक्षण करने के उपरांत बातचीत कर रहे थे। इससे पहले उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच व गांव के पूर्व सरपंच गुरमीत सिंह ने बावड़ी का बारीकी से निरीक्षण किया और इसके बारे में प्रचलित किंवदंती को लेकर चर्चा भी की है। उन्होंने कहा कि इस बावड़ी का बहुत प्राचीन इतिहास है और ग्रंथों व प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार यह बावड़ी करीब 500 साल पुरानी है।
इस बावड़ी को लक्खी राय वंजारा की बावड़ी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि व्यापार के लिए दूर दराज के क्षेत्रों में जाते समय लक्खी राय वंजारा सरस्वती नदी के इस क्षेत्र में रुका करता था।
इस दौरान ही लक्खी राय वंजारा द्वारा ही बावड़ी का निर्माण किया गया था। इस बावड़ी की प्राचीन ईंटों और बनावट को देखकर भी इसके काफी पुरानी बावड़ी होने के प्रमाण मिलते है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का निरतंर प्रयास है कि सभी ऐतिहासिक और प्राचीन तीर्थों और स्थानों को एक धरोहर के रूप में विकसित किया जाए। जहां सरस्वती नदी को फिर से धरातल पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं सरस्वती नदी के तट पर स्थित प्राचीन घाटों के नवीनीकरण और सौंदर्यकरण का कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड द्वारा इस प्राचीन बावड़ी को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम किया जाएगा ताकि हरियाणा की प्राचीन विरासत से पर्यटकों को आत्मसात होने का मौका मिल सके।
गांव के पूर्व सरपंच गुरमीत सिंह ने कहा कि गुरु तेग बहादुर के सिर को जब कलम कर दिया गया था, तो लक्खी राय वंजारा ने ही अपने घर को आग लगाकर गुरु तेग बहादुर के शरीर का अंतिम संस्कार किया था। गुरमीत सिंह एवं धुम्मन सिंह किरमच ने सरकार से मांग की है कि इस उपेक्षित लक्खी राय वंजारा की बावड़ी को विकसित किया जाए। इस बावड़ी के लिए जीटी रोड़ से सीधा रास्ता भी निकाला जाए।