कितने ‘आदर्श’ हैं माननीयों के गांव
राष्ट्रपति से लेकर अनेक निर्वाचित जनप्रतिनिधि बड़े चाव से गांव को गोद लेते हैं। ताम-झाम के साथ घोषणा भी करते हैं, लेकिन आदर्श ग्राम योजना के तहत जनप्रतिनिधि गांवों को गोद लेकर भूल से गए हैं। ‘माननीयों’ के गोद लिए गांव कहां तक और कितने ‘आदर्श’ हैं? उनकी हकीकत पर ग्राउंड रिपोर्ट शृंखला के तहत आज पेश है सांसद नायब सैनी के गोद लिए गांव कठवाड़ का हाल।
– संपादक
ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 24 मई
इस गांव के विकास के दावे खूब किए जा रहे हैं। योजनाएं भी बनी हैं, लेकिन अगर हकीकत की जमीन पर नजर दौड़ाएं तो सारे दावे ‘आसमानी’ साबित होते हैं। टूटी गलियां-नालियां, डंपिंग स्टेशन पर ताला, व्यायामशाला में उगी झाड़ियां सारे दावों की हवा निकाल देती हैं। यहां के एक मंदिर की चारदीवारी भी टूटने को है। यह नजारा है गांव कठवाड़ का। इसे सांसद नायब सैनी ने गोद लिया है। कैथल जिला मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर गांव कठवाड़ को गोद लेने के बाद सांसद महोदय गांव में दो बार गए। एक बार ग्रामीणों से चर्चा की और दूसरी बार वह गांव में सफाई कर्मियों को कचरा रेहड़ी बांटकर आए। जहां तक विकास की बात है, जमीन पर तो कुछ दिखता नहीं अलबत्ता कागजों में जिला प्रशासन ने गांव के विकास के लिए करीब तीन करोड़ का बजट तैयार कर रखा है। इन कामों में मत्स्य पालन, पोली हाउस, जैविक खाद, जनस्वास्थ्य विभाग के कार्य, पानी की सप्लाई, सड़कों की मरम्मत, पानी निकासी के कार्य शामिल हैं, लेकिन ये सभी कार्य योजनाएं सरकारी बाबुओं की मेज की फाइलों में ‘कैद’ हैं। यहां के निवासी युवा रवि कहते हैं कि घर बैठे गोद लेने से कुछ फायदा नहीं। गांव में विकास कार्य होने चाहिए, दिखने चाहिए। उन्होंने कहा कि सांसद को चाहिए कि गांव में आएं और यहीं बैठकर गांव की समस्याएं जानकर मौके पर ग्रामीणों की परेशानियों को दूर करें। उन्होंने कहा कि उनके गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी नहीं है। खांसी, जुखाम, सिर दर्द की दवा लेने के लिए भी उन्हें मूंदड़ी, कैथल या टीक गांव में जाना पड़ा है। युवा रोहित और रवि कुमार ने कहा कि हमारे गांव ने कई स्टेट व नेशनल स्तर के खिलाड़ी दिए हैं, लेकिन गांव में स्टेडियम बनाना तो दूर की बात, एक व्यायामशाला भी अपनी बर्बादी पर आंसू बहा रही है। व्यायामशाला की टूटी दीवारें, स्टेज पर उगी झाड़ियां, टूटी लाइटें, बंद पड़े दरवाजे अपनी दुर्दशा की कहानी बयां कर रहे हैं।
युवाओं ने चंदे से बना दी लाइब्रेरी : भले ही प्रशासनिक उदासीनता हो, लेकिन यहां के युवाओं ने चंदा इकट्ठा कर लाइब्रेरी बनवा दी। यहां के युवाओं ने लाइब्रेरी के लिए जिला परिषद के पूर्व उप प्रधान से लेकर जिला प्रशासन, सांसद तक के सामने अपनी मांग रखी, किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। फिलहाल उन्होंने गांव की चौपाल में चंदा एकत्रित करके एक लाइब्रेरी बनाई है। अब उन्हें उम्मीद है कि सांसद नायब सैनी गांव में एक अच्छी-सी लाइब्रेरी बनवा दें।
अब कुछ बजट आ गया है : सांसद
सांसद नायब सैनी ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा विकास कार्यों का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। ग्राम विकास योजना के तहत अब कुछ बजट भी आया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों द्वारा जो विकास कार्य बताए गए थे वे उन्होंने प्रशासन को नोट करवाए हैं। मैं वहां अभी कुछ दिन पहले गया था। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते दो वर्ष तक तो कुछ काम हो नहीं पाए थे लेकिन अब मंदिर में हाल निर्माण का कार्य भी चल रहा है।
कुछ काम पास हुए हैं, शुरू नहीं : सरपंच
गांव के निवर्तमान सरपंच गुलाब ने कहा कि सांसद के गांव गोद लेने के बाद कुछ काम तो पास जरूर हुए हैं, लेकिन अभी काम शुरू नहीं हुआ है। इन कामों में गांव में चौपाल, लाइब्रेरी, रिचार्ज बोर, गलियां, नालियां आदि शामिल हैं। उधर, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं गोद लिए गांव के जिला नोडल अधिकारी सुरेश राविश ने कहा कि गांव में तीन चौपालों का कार्य चल रहा है। मनरेगा के कार्य भी शुरू करवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हैदराबाद में एनआईआरडी के तहत गोद लिए गांवों को लेकर उनकी एक बैठक भी होगी।