दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 28 फरवरी
हरियाणा सरकार ने गांवों व शहरों की ‘सरकार’ को नई शक्तियां दे दी हैं। इन संस्थाओं में कार्यरत रहने वाले आईएएस व एचसीएस अधिकारियों की सालाना परफोरमेंस अप्रेजल रिपोर्ट (एसीआर) जनप्रतिनिधि लिखेंगे। नगर निगमों में मेयर को निगम आयुक्त तथा जिला परिषद चेयरमैन को परिषद के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) की एसीआर लिखने के अधिकार दिए हैं। रिपोर्ट के लिए पहले से तय चैनल में सरकार ने मेयर और जिला परिषद चेयरमैन को भी जोड़ा है।
सीएम मनोहर लाल खट्टर के आदेशों पर मुख्य सचिव संजीव कौशल की ओर से इस संदर्भ में लिखित निर्देश जारी किए हैं। दरअसल, पिछले दिनों प्री-बजट चर्चा के दौरान सीएम जब निकाय विभाग के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से संवाद कर रहे थे तो यह मुद्दा उठा। कई शहरों के मेयरों ने यह मुद्दा उठाया कि अधिकारी उनकी सुनवाई नहीं करते हैं। विकास कार्यों के अलावा जनहित से जुड़े रोजमर्रा के कार्यों में अधिकारियों की मनमर्जी चलती है।
इसी बैठक में सीएम ने निगमों के मेयर को निगम आयुक्तों की एसीआर लिखने के आदेश दिए थे। इसी तरह का मुद्दा पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा भी आवाज उठाई जा रही थी। मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद अधिकारियों ने इसकी फाइल चलाई। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की मुहर के बाद सोमवार को मुख्य सचिव ने सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों, सभी विभाग प्रमुखों, बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशकों, मंडल आयुक्तों, डीसी के साथ प्रदेश के सभी आईएएस और एचसीएस अधिकारियों को पत्र जारी किया है। ये आदेश उन सभी अधिकारियों पर लागू होंगे जो नगर निगमों में बतौर आयुक्त तथा जिला परिषद में सीईओ के पद पर कार्यरत रहेंगे। निगम आयुक्त की एसीआर रिपोर्ट पहले मेयर द्वारा लिखी जाएगी। इसके बाद यह विभाग के निदेशक के पास जाएगी।
विभाग निदेशक से होते हुए आयुक्त की रिपोर्ट विभाग के प्रशासनिक सचिव लिखेंगे। इसके बाद विभाग के मंत्री के पास सालाना रिपोर्ट का रिव्यू करने के अधिकार रहेंगे।
संतुष्ट न होने पर कर सकते हैं अपील
वार्षिक रिपोर्ट से अगर संबंधित अधिकारी को कोई परेशानी है तो पहले उसे मंत्री के पास अपील करनी होगी। मंत्री की रिपोर्ट से भी संतुष्ट नहीं होने पर मुख्यमंत्री के पास जाएगी। इसी तरह से जिला परिषद के सीईओ की सालाना रिपोर्ट सबसे पहले संबंधित डीसी द्वारा लिखी जाएगी। इसके बाद इस रिपोर्ट पर जिप चेयरमैन टिप्पणी करेंगे। आखिर में यह रिपोर्ट विभाग के प्रशासनिक सचिव के पास जाएगी। रिव्यू के अधिकारी विकास एवं पंचायत मंत्री के पास रहेंगे।
चुनावों से पहले सरकार का बड़ा कदम
पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों द्वारा यह मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी। खट्टर पार्ट-। में भी इस तरह के ऐलान तो हुए थे, लेकिन अमल नहीं हुआ। माना जा रहा है कि निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों को देखते हुए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। 51 नगर परिषद और नगर पालिकाओं के चुनाव अप्रैल में ही होने की उम्मीद है। इसके बाद और भी पालिका व परिषदों के अलावा नगर निगमों के चुनाव होंगे। जिला परिषद, ब्लाक समिति व ग्राम पंचायतों के चुनाव लटके हुए एक साल से अधिक हो चुका है।