फरीदाबाद, 21 सितंबर (हप्र)
आगरा-गुरुग्राम नहर पर बड़ौली में अंग्रेजों के जमाने का 100 वर्ष पुरान पुल भरभरा गिर गया। पुल गिरने से कुछ देर पहले ही दोनों ओर से ट्रैफिक को बंद कर दिया गया था, जिसकी वजह से एक बड़ा हादसा टल गया। अभी पुल का एक और हिस्सा भी गिरने की कगार पर है। यह हिस्सा टेड़ा हो गया है। इस पुल की समय पर मरम्मत नहीं होने की वजह से एक साल पहले ही यहां चौपहिया वाहनों की एंट्री बंद कर दी थी। एडवोकेट शिवदत्त वशिष्ठ ने इस संबंध में अधिकारियों को शिकायत भी की थी। इससे पहले भी दो-तीन बार पुल के छोटे-छोटे हिस्से गिरते रहे हैं।
चश्मदीद रामबीर ने बताया कि सुबह जैसे ही पुल में दरार आई उसने लोगों की मदद से तुरंत दोनों ओर बल्लियां लगाकर आवागमन बंद कर दिया था। रामबीर व इसके साथी मजदूरों ने पुल गिरते हुए देखा। मौके पर पुलिस व सिंचाई विभाग के कुछ कर्मचारी पहुंच गए थे। उल्लेखनीय है कि जर्जर पुल की बराबर में करीबन 12 करोड़ रुपए की लागत से केन्द्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर एवं प्रदेश के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने एक और पुल की आधारशिला रखी थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से पुल का निर्माण कार्य रूक गया। इस पुल को बनने में अभी कम से कम आठ महीने लगेंगे। इस दौरान पुल के दूसरी ओर गांव बड़ौली में रहने वाले लोगों को बीपीटीपी या फिर सेक्टर-3-8 वाले पुल से लंबा चक्कर लगाकर बाइपास पर आना पड़ेगा। गौरतलब है कि आगरा नहर पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग का अधिकार है। ऐसे में पुल का निर्माण यूपी सरकार ही करेगी। बड़ौली गांव में आगरा नहर पर पुल बनाने के लिए लगभग 9 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
छोटी नावों के जरिये पहुंचाते थे सामान
ब्रिटिश शासन काल में दिल्ली से आगरा जोन्स मील सामान पहुंचे के लिए अंग्रेजों ने आज से 144 साल पहले आगरा नहर बनवाई थी, क्योंकि उस समय गर्मी के मौसम में यमुना नदी में पानी सूख जाता था। जिसके बाद अंग्रेजों ने आगरा नहर का निर्माण करवाया। इस नहर में छोटी नावों के जरिऐ सामान को पहुंचाया जाता था। दिल्ली से आगरा तक कई पुलों का निर्माण भी उन्हीं ने करवाया था। यह नहर दिल्ली से फरीदाबाद, बल्लभगढ़, पलवल, होडल, कोसीकला, मथुरा होती हुई आगरा तक जाती है।