विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 29 नवंबर
छह लोगों को नयी जिंदगी देने वाले अंगदाता बहादुर परिवारों का सम्मान मेडिकल कॉलेज में किया गया। अंग प्रत्यारोपण जागरूकता कार्यक्रम में जैसे ही अंगदान करने वालों के परिवार पहुंचे तो वहां मौजूद सभी लोगों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया। हाथ जोड़कर सभी ने शुक्रिया अदा किया कि उनके निर्णय की बदौलत आज कई लोगों को नयी जिंदगी मिली। मेडिकल कॉलेज-32 की निदेशक प्रिंसिपल जसबिंदर कौर ने दो बहादुर दाता परिवारों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि शुक्रिया। आप जैसे परिवारों के साहसिक फैसले दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं और लोगों को नया जीवन देते हैं।
यह सम्मान समारोह मेडिकल कालेज 32 आईएसए सिटी ब्रांच चंडीगढ़ द्वारा ऑर्गन ट्रांसप्लांट ट्रस्ट, पीजीआई और क्षेत्रीय अंग और रोटो के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर सम्मानित किए गए बहादुर परिवारों में अमृतसर की शिशु अबबत कौर और यमुनानगर के दाता मनमोहन सिंह का परिवार शामिल था। दोनों परिवारों के अंगदान करने की सहमति के बाद पीजीआई में 6 लोगों को अंग प्रत्यारोपण कर उनकी जान बचाई जा सकी थी। इस दौरान दोनों परिवारों ने बताया कि उनके लिए अंगदान कराने का निर्णय लेना कितना कठिन था।
इस मौके पर प्रो. जसबिंदर कौर ने अंगदान दाताओं को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि इन परिवारों ने खुद पर विपदा पड़ने के बावजूद दूसरों की जिंदगी बचाने का जो साहसिक फैसला लिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस मौके पर डॉ विवेक कुमार, डॉ वाईके बत्रा, डॉ सुमन, डॉ सुकन्या मित्रा, डॉ मनीष मोदी, डॉ नारायण यद्दनपुडी, डॉ जीतिंदर मक्कड़, डॉ अमरज्योति हजारिका, डॉ कमल काजल, डॉ गौरी मित्रा, डॉ विकास, डॉ श्याम मीणा, डॉ राज मणि, डॉ आशीष शर्मा, डॉ पी गौतम, डॉ इंदु सेन, डॉ दीपेश बी केंवर, डॉ विपिन कौशल, डॉ आशीष शर्मा मौजूद रहे।
दूसरे को जिंदगी देना बेहतर समझा
एक अन्य दाता यमुनानगर निवासी 45 वर्षीय मनमोहन सिंह की पत्नी रानो देवी ने अपनी भावनाएं प्रकट करते हुए कहा कि हमने अंगदान के लिए ‘हां’ कहा, क्योंकि इन अंगों को राख में बदलने की तुलना में किसी को नया जीवन देना बेहतर समझा। इसलिए दिल के दर्द के बावजूद, हम जानते थे कि यह करना सही है। साहसिक रानो के फैसले की वजह से तीनों रोगियों को नया जीवन मिला।
गुरुओं से मिली प्रेरणा
पंचकूला (ट्रिन्यू) : यहां अलकेमिस्ट अस्पताल की ओर से अंगदानी निपुन जैन के माता-पिता को सम्मानित किया गया। निपुन के अंगदान करने 5 लोगों को नया जीवन मिला है। अस्पताल प्रबंधन ने निपुन के माता-पिता को सम्मानित किया। निपुन जैन के पिता नरेश चंद जैन ने कहा कि अंगदान की प्रेरणा उन्हें जैन गुरुओं से मिली। इस मौके पर अस्पताल के डा़ नीरज गोयल ने निपुण के परिजनों का आभार जताया।
अबाबत के परिजनों को सलाम
एक नन्ही परी अबाबत कौर के बहादुर पिता सुखबीर सिंह संधू और माता सुप्रीत कौर ने बताया कि उनकी बेटी ने 39 दिन तक जिंदगी की जंग लड़ी, लेकिन वो हार गई। दिसंबर 2020 में उनके अंगदान के फैसले से पीजीआई में एक गंभीर बीमार में ‘जीवन की आशा’ जगा दी। सुखबीर सिंह संधू ने बताया कि हमारे कहीं न कहीं महसूस किया कि उनकी बेटी अबाबत का जन्म दूसरों को जिंदगी देने के लिए ही हुआ था। गुरबानी हमें सिखाती है कि ‘सरबत दा भला’ कि सबका भला करो। नन्ही परी की मां विज्ञान शिक्षिका सुप्रीत कौर ने कहा कि मृत्यु ‘अंत’ नहीं है। दूसरों के माध्यम से भी अपनों का महसूस किया जा सकता है। हमारी कहानी उन परिवारों को प्रेरित करेगी जो खुद को ऐसी स्थिति में पाते हों।