अरविंद शर्मा/निस
जगाधरी, 7 अप्रैल
क्षेत्र में कई प्राचीन धार्मिक स्थल हैं, जिनकी देश-दुनिया में अलग पहचान है। इनमें प्राचीन देवी भवन मंदिर, श्री खेड़ा मंदिर, शिव सिद्ध मंदिर भटली, श्री गौरी शंकर मंदिर, प्राचीन देवी योग माया मंदिर, श्री सूर्यकुंड मंदिर अमादलपुर, श्री गंगा सागर मंदिर, श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर, श्री मां काली देवी मंदिर शामिल हैं। देवी योग माया मंदिर का निर्माण करीब 5 हजार वर्ष पूर्व योगी बाबा अलखनाथ ने कराया था।
मंदिर के सेवादार बाबा निर्मल नाथ ने बताया कि इसके बाद यहां पर खासनाथ, मीसरी नाथ, इलायची नाथ, प्रेमनाथ, भगवती नाथ भी आए और इनकी समाधियां हैं। कुछ समाधियां समय के साथ खत्म हो गई हैं। इस समय बाबा पीर पारसनाथ हैं। वे इन दिनों महाराष्ट्र आश्रम में गए हुए हैं। सेवादार निर्मल नाथ ने बताया कि देवी योग माया भगवान कृष्णजी की बहन थी। उन्होंने कहा कि देश में एक यहां, दूसरा वृंदावन व तीसरा दक्षिण भारत में देवी योग माया का प्राचीन मंदिर है। जगाधरी में मंदिर का निर्माण करने वाले योगी बाबा अलख नाथ की समाधि आज भी मंदिर के नजदीक है। बाबा योगी निर्मल नाथ ने बताया कि देवी योग माया का मंदिर साल में सिर्फ नवरात्र में ही श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। नवरात्रों के अलावा मंदिर में पुजारी व सेवादार आरती व जोत जलाने के लिए सुबह-शाम जाते हैं। यदि इस मंदिर में कोई सच्चे मन से मन्नत मांगता है तो जरूर पूरी होती है।
दुल्हन की तरह सजेगा भद्रकाली मंदिर
कुरुक्षेत्र (हप्र) : शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर में बृहस्पतिवार को षष्टी को नवरात्रि देवी दिवस के रूप में मां कात्यायनी की पूजा की गई। पीठाध्यक्ष सतपाल शर्मा ने बताया कि मां कात्यायनी की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। विवाह में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था। बृहस्पतिवा को मंदिर में मंगला आरती की गई। भजन संध्या में लखविंदर सिंह लक्खा ने मन-मोह लिया। मंदिर में 11 देशों के पुष्प-फल और सज्जा का सामान पहुंचा। एमिल पुष्प श्रृंगार की टीम एक बार फिर मंदिर को फूलों से दुल्हन की तरह सजाएगी। एमिल पुष्प श्रृंगार की टीम में कलकत्ता व मुम्बई के कारीगर शामिल हैं और ये वैष्णों देवी भवन में भी पुष्प सज्जा करते हैं और बॉलीवुड फिल्मों में भी सजावट करते है। इस बार भी देसी और विदेशी फूलों से मां भद्रकाली दरबार की भव्य सजावट होगी और श्री दुर्गाष्टमी पर पान के पत्तों से मां के भवन की सजावट की जाएगी।