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शिक्षा का मंदिर डूबा, मैदान बने तालाब, कमरों व शौचालयों में भी पानी

प्रदीप साहू/निस चरखी दादरी, 4 जुलाई पिछले दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते शिक्षा का मंदिर तालाब बन गया है। सरकार द्वारा संस्कृति मॉडल स्कूल तो बना दिया, यहां के हालात देखकर पता चलता है कि ये स्कूल...
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प्रदीप साहू/निस

चरखी दादरी, 4 जुलाई

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पिछले दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते शिक्षा का मंदिर तालाब बन गया है। सरकार द्वारा संस्कृति मॉडल स्कूल तो बना दिया, यहां के हालात देखकर पता चलता है कि ये स्कूल नहीं बल्कि ताल-तलैया बन गया है। यहां विद्यार्थियों को भय के साए में पढ़ाई करनी पड़ रही है। वहीं पानी से लबालब मैदान से लेकर कमरों तक कई फुट पानी भर गया है।

हालातों को देखते हुए स्कूल प्रबंधन ने एक सप्ताह तक अवकाश की घोषणा करनी पड़ी। वहीं स्कूल प्रबंधन द्वारा जलभराव रोकने को लेकर प्रशासन व शिक्षा विभाग को पत्र लिखे गए हैं। मौजूदा स्थिति है उसे देखते हुए 10 जुलाई तक भी स्कूल से पानी की निकासी होती नजर नहीं आ रही। बता दें कि सरकार द्वारा दादरी का एकमात्र राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल को संस्कृति माडल स्कूल का दर्जा दिया गया है। इतना ही नहीं स्कूल भवन के जीर्णोद्धार व अन्य सुविधाओं के लिए लाखों रुपए की ग्रांट भी दी गई। बावजूद इसके शिक्षा अधिकारियों की उदासीन कार्यशैली के चलते संस्कृति मॉडल स्कूल मानसून की पहली ही बारिश में ताल-तलैया बन गया है। स्कूल के चार खंडों में बने 35 कमरों में इस समय दो-तीन फुट पानी खड़ा है। वहीं, लैब तक पहुंचने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं होने से वह बंद हैं। उनमें रखे उपकरणों की वर्तमान स्थिति भी जिम्मेदारों को नहीं पता। हालांकि शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि पानी निकासी के लिए प्रशासन को कई बार पत्र लिखे गए हैं। बावजूद इसके कोई समाधान नहीं हो रहा है।

अभिभावकों को बच्चों के भविष्य की चिंता

स्कूल परिसर में कई फूट पानी भरने के बाद स्कूल प्रबंधन द्वारा अवकाश की घोषणा करने पर अभिभावकों को भी अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी है। हालातों को देखते हुए 9 जुलाई तक स्कूल में अवकाश घोषित किया गया है।

 

‘लचर व्यवस्था के लिये सरकार जिम्मेदार’

पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान ने कहा कि उन्होंने पिछले वर्ष डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को स्कूल का निरीक्षण करवाकर हालातों की जानकारी दी थी। उस समय डिप्टी सीएम द्वारा जलभराव को लेकर लाखों रुपए की राशि देने की घोषणा भी की थी। अब इस स्कूल लचर व्यवस्था की जिम्मेदार प्रदेश सरकार है। मंजूर राशि का पता ही नहीं कहां गई, बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। शिक्षा निदेशालय को पत्र भेजकर समस्या से अवगत कराया जा चुका है लेकिन समाधान पता नहीं।

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