करनाल, 21 मार्च (हप्र)
सरकारी भ्रष्टाचार को लेकर करनाल में एक सप्ताह तक चले हाई प्रोफाइल ड्रामे के बाद तहसीलदार राजबक्श को आज 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। दूसरे आरोपी डीटीपी विक्रम कुमार की अब परसों 23 जनवरी को पेशी होगी। जबकि तीसरे आरोपी नगर निगम के एसई दीपक किंगर की अभी तक गिरफ्तारी ही नही है। इस बीच तहसील और नगर निगम के ऐसे कई अधिकारी व कर्मचारी डयूटी से नदारद हैं, जिनके नाम इस घोटाले से जुड़े हुए हैं। तहसील कार्यालय में हुए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोपी तहसीलदार राजबक्श को विजीलेंस ने आज अदालत में पेश किया। खास बात यह रही कि लगातार 5 दिन के रिमांड के बाद भी विजीलेंस तहसीलदार से कोई बड़ी रिकवरी नही दिखा पाई। विजीलेंस अधिकारियों ने अदालत को बताया कि अभी तहसीलदार द्वारा राजस्थान में छिपाई गई एक डायरी बरामद की जानी है। लेकिन अदालत ने तहसीलदार का रिमांड आगे नही बढ़ाया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। खाली हाथ नजर आ रहे विजीलेंस अधिकारियों ने कोर्ट से बाहर आकर बस इतना ही कहा कि अभी जांच जारी है। रिश्वतकांड में गिरफ्तार डीटीपी के खुलासे पर गिरफ्तार हुए तहसीलदार राजबक्श को आज तीसरी बार कोर्ट में पेश किया गया था। अदालत ने पहले तहसीलदार राजबक्श का एक दिन का रिमांड दिया था। दूसरी और करनाल नगर निगम के बहुचर्चित रिश्वतकांड में आरोपी एसई दीपक किंगर के खिलाफ एडीसी द्वारा दी गई रिपोर्ट पर भी मामला ठंडा पड़ा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार एसई दीपक किंगर के कार्यालय में ही उनका पीए विकास शर्मा ठेकदारों और अभियंताओं से रिश्वत लेता था। इस मामले में जांच के दौरान एडीसी योगेश कुमार के समक्ष धनराशि के लेनदेन के 32 वीडियो आये, जोकि सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे।
गंभीर धाराएं लगे
करनाल तहसील घोटाले के नए दस्तावेज लेकर आज विजीलेंस कार्यालय पहुंचे कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव वीरेन्द्र राठौर ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त तहसीलदार के खिलाफ धोखाघड़ी और सरकारी राजस्व को हानि पहुचाने की धाराएं भी लगनी चाहिए। राठौर ने बताया कि उन्होंने आज विजीलेंस विभाग के एसपी राजेश फोगाट से मुलाकात करके कई ऐसे दस्तावेज सौंपे हैं, जिनसे प्रमाणित होता है कि तहसीलदार की मिलीभगत से नकली आईडी के आधार पर बिना एनओसी के अवैध कालोनियों के हजारों रजिस्ट्रियां की गई और इससे नगर निगम और सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई।