हरीश भारद्वाज/हप्र
रोहतक, 10 अक्तूबर
पिछले तीन महीने में रुक-रुक कर हुई तेज बारिश किसानों के लिए आफत साबित हुई है। खेतों में जलभराव के चलते जिले की हजारों एकड़ में लगी बाजरा, कपास व धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। जिले में शायद ही कोई ऐसा गांव बचा हो, जहां खेत पानी से लबालब न हो। विडंबना यह रही कि प्रशासन इंतजार ही करता रहा कि कब इंद्रदेव बरसना बंद होंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि अगर प्रशासन समय पर ड्रेनों की सफाई करवा देता और बरसाती पानी की निकासी साथ-साथ हो जाती तो किसानों की हजारों एकड़ में खड़ी फसल बर्बाद होने से बच जाती।
खरीफ की फसल गंवाने के बाद किसानों को अब गेहूं की फसल की बुवाई की चिंता होने लगी है। उनकी सारी उम्मीदें टूट चुकी हैं, क्योंकि खेतों में पानी जमा है और प्रशासन ने उसे निकालने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं किए हैं। किसानों पर जलभराव के कारण दोहरी मार पड़ेगी। प्रशासन द्वारा करवाए गए सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक जिले में जलभराव से करीब 43 हजार एकड़ में बाजरा, कपास व धान की फसलों को नुकसान हुआ है, जबकि किसान संगठनों का दावा है कि जलभराव ने 70-80 हजार एकड़ से भी ज्यादा कृषि भूमि में तबाही मचाई है। जिले के हर गांव में फसलों का नुकसान दर्ज किया गया है।
बाजरा को 70 %, धान को 15 % नुकसान
बारिश के कारण जलभराव से जिले में बाजरा, कपास और धान की फसल बर्बाद हो गई है। इस बरसात के मौसम में जलभराव के कारण वास्तविक नुकसान का आकलन करने के लिए कृषि और किसान कल्याण विभाग के स्थानीय कार्यालय द्वारा किए गए सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि बाजरा और कपास की फसल को 70 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है, जबकि धान की फसल में 15 प्रतिशत नुकसान दर्ज किया गया है। हालांकि अभी विशेष गिरदावरी शुरू नहीं हुई है। रिपोर्ट के अनुसार बाजरा की फसल को 18,000 एकड़ में व्यापक नुकसान हुआ है और 17,500 एकड़ कपास जलभराव से बुरी तरह प्रभावित हुई है। करीब 3 हजार एकड़ में खड़ी धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। रोहतक के अधिकांश गांव जलभ्ाराव से प्रभावित हैं, क्योंकि इस मानसून सीजन में कई बार बारिश दर्ज की गई है। वहीं, दूसरी तरफ अगर किसानों व किसान संगठनों की माने तो वास्तविक नुकसान इससे दोगुना है।
ये गांव हुए सबसे ज्यादा प्रभावित
चुलियाना, इस्माइला, समचाना, गढ़ी सापला, बसंतपुर, मकडोली, सुनारिया, बालंद, रिटोली, गुढान, लाढोत, सांघी, पटवाड़ा, खिड़वाली, समरगोपाल पुर, बहू जमालपुर, गद्दी खेड़ी, आसन, धामड, कंसाला, वडाली, बैसी, लाखन माजरा, मोखरा, खरकड़ा, महम, बनियानी, कलानौर, गढ़ी बलम्भ, लाहली, खेड़ी साध, नया बांस, कुलताना, मोरखेड़ी, अटायल, बलियाना और भैंसरू कलां गांव आदि जलभराव से बुरी तरह प्रभावित गांवों में शामिल है।
लाखों के कर्ज तले दबे धरतीपुत्र
भारतीय किसान यूनियन अंबावत के प्रदेशाध्यक्ष अनिल नांदल उर्फ बल्लू प्रधान ने कहा कि प्रशासन से कई बार पानी निकासी की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। नांदल ने बताया कि 70 से 80 हजार एकड़ से अधिक फसल नष्ट हुई है। उन्होंने मांग की कि प्रशासन जल्द विशेष गिरदावरी कर किसानों को उनके नुकसान का मुआवजा दे और पानी निकासी का प्रबंध करे। कई गांवों में तो धान की फसल पूरी की पूरी बर्बाद हो गई है, क्योंकि 3 महीने से खेतों में पानी जमा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जलभराव के कारण धान को हुए नुकसान का कोई मुआवजा नहीं दिया जाता। इसलिए किसानों को धान की फसल का नुकसान खुद उठाना होगा। उन्होंने कहा कि सबसे बुरी बात यह है कि धान की फसल में लागत सबसे ज्यादा आती है। इसकी रोपाई करने वाले कई किसानों ने लाखों रुपए का कर्ज ले रखा है। उन्होंने मांग की कि सरकार धान की खेती को हुए नुकसान की भी भरपाई करे, ताकि किसान के कर्ज का बोझ कुछ कम हो सके।
किसानों का दर्द : सरकार, हमें बर्बाद होने से बचा लो
हमें बर्बाद होने से बचा लो, पहले बरसात का पानी खेतों में जमा हो गया और अब गेहूं की बुवाई पर भी संकट के बादल छा गए हैं। सरकार, कुछ तो करो, नहीं तो हम कहीं के नहीं रहेंगे। चुलियाना गांव के किसान शमशेर सिंह, अशोक, जसवीर, नवीन ने बताया कि गांव की करीब 500 एकड़ से अधिक फसल ऐसी है, जिसमें गेहूं की बुवाई की अभी कोई संभावना नहीं है। प्रशासन ने पानी निकासी के लिए एक पंप लगाया है, लेकिन उससे कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा। सुंडाणा गांव के किसान जग्गू , वडाली गांव के कृष्ण सिवाच, ने बताया कि इस बार किसानों की 50 प्रतिशत से ज्यादा धान की फसल बर्बाद हो गई है। समचाना गांव के किसान रिंकू, पुनीत, सूरज, प्रवीण ने बताया कि गांव की सैकड़ों एकड़ फसल अभी भी जलमग्न है, जिसको निकालने का कोई भी उपाय प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि 8 नंबर ड्रेनआज तक टूटी हुई है और कोई भी उसे ठीक करने नहीं आया। ड्रेन टूटी होने से पीछे से आया पानी लोगों के खेतों में घुस गया और हजारों एकड़ धान, कपास, बाजरा, ज्वार की फसल बर्बाद हो गई।
तुरंत गिरदावरी नहीं हुई तो आंदोलन
अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष प्रीत सिंह ने कहा कि सांपला और महम ब्लाक के 50 से अधिक गांवों में पूरी फसल नष्ट हो गई है। उन्होंने दावा किया कि जलभराव से जिले में 70 हजार एकड़ से भी अधिक फसलों को नुकसान हुआ है। हालात यह है कि रबी की फसल की बुवाई पर भी संकट है, लेकिन जिला प्रशासन पानी निकलवाने की कोई कवायद नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि अगर अधिकारी नुकसान का आकलन करने के लिए जल्द ही विशेष गिरदावरी शुरू नहीं करते हैं तो हम धरना देने से नहीं हिचकिचाएंगे।
पानी निकालने के पूरे कर रहे प्रयास
इस मामले में रोहतक के जिला राजस्व अधिकारी कनक लाकड़ा का कहना है कि गत दिवस गुढान गांव के ग्रामीण उनसे मिले थे, जिन्होंने करीब 3 हजार एकड़ में जलभराव की सूचना दी थी। ग्रामीणों की मांग पर सिंचाई विभाग से बात कर तुरंत पंप लगवा दिया था। उन्होंने कहा कि खेतों से पानी निकालने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं, जहां पर बिजली नहीं है वहां पर डीजल पंप लगवाए गए हैं। ग्रामीणों द्वारा करीब 70 हजार एकड़ जमीन में जलभराव की बात कही है। विभाग ने ई गिरदावरी की हुई है। सरकार की ओर से विशेष गिरदावरी के आदेश आ गए हैं। जल्द ही स्पेशल गिरदावरी करवाकर रिपोर्ट के हिसाब से किसानों के नुकसान की भरपाई की जाएगी।
15 तक निकासी का लक्ष्य
सिंचाई विभाग के एसडीओ सौरव ने बताया कि खेतों से पानी निकासी के लिए विभाग की ओर से 270 पंप सेट लगाए गए हैं। पानी अलग-अलग जगह ब्लाक में होने के कारण निकासी में समय लग रहा है। विभाग का लक्ष्य है कि 15 अक्तूबर तक खेतों में खड़े पानी की निकासी हो जाए। महम के गांव भैंणी सुरजन में भिवानी से पानी आ रहा है, जिसकी निकासी में काफी दिक्कत हो रही है।