कुरुक्षेत्र, 20 दिसंबर (हप्र)
जगतगुरू स्वामी ब्रह्मानंद न सिर्फ एक महान संत थे, बल्कि वे नारी समानता के पुरोधा और क्रांतिकारी समाज सुधारक भी थे। उनका जन्म आज के कैथल जिले और पूर्व में करनाल जिले में स्थित क्षेत्र चुहड़माजरा में हुआ था। स्वामी ब्रह्मानंद के दौर में सामाजिक रूढ़िवाद चरम पर था। उन्होंने नारी समानता की बात ऐसे समय में उठाई जब इसे व्यवहार में उतारना तो दूर, इसकी बात करना भी काफी जोखिम भरा समझा जाता था। सामाजिक बहिष्कार का खतरा था। ये बात हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने स्वामी ब्रह्मानंद की जयंती पर कुरुक्षेत्र आश्रम में आयोजित बाल चेतना उत्सव में कही।
डॉ. चौहान ने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद ने ऐसे पुरातनपंथी दौर में भी डंके की चोट पर न सिर्फ स्त्री शक्ति को समान अधिकार देने की बात की, बल्कि उन्हें व्यवहार में उतारकर भी दिखाया। उन्होंने अपने आश्रम की कमान पुरुषों के बजाए स्त्री शक्ति के हाथों में सौंपकर एक क्रांतिकारी सोच का सूत्रपात किया जो आगे चलकर मील का पत्थर साबित हुई। डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद ने तत्कालीन समाज को अपने पूर्वजों के बताए हिंदुत्व के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी और लुप्त होती पंच-महायज्ञ की परंपरा को पुनर्स्थापित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी ब्रह्मानंद ट्रस्ट की अध्यक्ष साध्वी मैत्रेयी आनंद ने की।