स्वामी ब्रह्मानन्द युग-पुरुष और प्रेरणा स्रोत : नायब सैनी
मुख्यमंत्री ने कहा कि संत-महात्माओं का जीवन समाज के लिए मार्गदर्शन का कार्य करता है। स्वामी ब्रह्मानन्द जी की साधना, सादगी और सेवा भारतीय संस्कृति, सभ्यता और नैतिक मूल्यों को मजबूत करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कम उम्र में ही गृहत्याग कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाया और गुरुकुल कुरुक्षेत्र में वैदिक शिक्षा प्राप्त की। आर्य समाज की विचारधारा से प्रेरित होकर वे एकेश्वरवाद, सत्य, नैतिकता और मानव सेवा के संदेश को जन-जन तक पहुंचाते रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब देश में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएँ सीमित थीं, तब स्वामी जी ने समाज में नई जागृति का संचार किया। उन्होंने वेद, उपनिषदों का अध्ययन किया और अनेक ग्रंथों की रचना की, जिससे लोगों को नई दृष्टि और प्रेरणा मिली। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से महिलाओं की शिक्षा के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण प्रयास किए। स्वामी जी का मानना था कि गौ-सेवा, शिक्षा और समाज सुधार मिलकर ही एक सभ्य समाज की नींव रखते हैं। इसी भावना से उन्होंने 1947 में गुरुकुल ओंकारपुरा में पहली आदर्श गौशाला की स्थापना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी ब्रह्मानन्द जी के दिखाए मार्ग पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। समाज में नैतिकता और आपसी सद्भाव को मजबूत करने की जिम्मेदारी हम सभी की है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने महान संतों की शिक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए संत-महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना शुरू की है, जिससे युवाओं को प्रेरणा मिलेगी। कार्यक्रम में लोगों ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया।
