सूरजकुंड मेला 2026 : जब पिरामिडों की छांव में गूंजेगी भारतीय संस्कृति
यहां पर्यटक सिर्फ देखने नहीं, बल्कि अनुभव करने आएंगे। वे पिरामिडों की स्थापत्य झलक, लक्सोर और वैली ऑफ किंग्स का सांस्कृतिक इतिहास, कैरो के रंगीन बाजारों की रौनक, मिस्र संगीत और लोकनृत्य और पारंपरिक मिस्र हस्तशिल्प की लाइव डेमो को देख भी सकेंगे और समझ भी सकेंगे। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डॉ़ अरविंद शर्मा का कहना है कि इजिप्ट इस मेले को एशिया में अपनी सांस्कृतिक उपस्थिति बढ़ाने का बड़ा अवसर मान रहा है।
यूपी और मेघालय का दोतरफा भारतीय रंग
थीम राज्यों के तौर पर उत्तर प्रदेश और मेघालय की भागीदारी मेले को भारतीय विविधता का अनूठा संतुलन देगी। जहां यूपी अपनी लोकसभ्यता, बनारसी साड़ी, मुगलिया कला, अवधी व्यंजन और ब्रज संस्कृति के साथ उपलब्ध होगा, वहीं मेघालय अपने जनजातीय रंग, हस्तनिर्मित उत्पाद, बांस-बेंत कारीगरी और क्लासिकल-फोक म्यूजिक के साथ अलग पहचान बनाएगा। दोनों राज्यों को अलग थीम ज़ोन, प्रामाणिक फूड स्ट्रीट और शिल्पकारों के लिए प्रीमियम स्टॉल आवंटित किए जा रहे हैं। इस बार मेले में ‘दैनिक सांस्कृतिक कैलेंडर’ होगा। हर दिन थीम राज्यों और इजिप्ट की प्रस्तुतियों के साथ-साथ भारत और दुनिया के अन्य कलाकार भी मंच पर प्रस्तुति देंगे।
दुनिया भर में भेजे निमंत्रण
विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ़ अरविंद शर्मा के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने भारत के सभी प्रमुख दूतावासों को निर्देशित किया है कि वे विभिन्न देशों, कलाकार समूहों और शिल्प संगठनों को सूरजकुंड मेले में भागीदारी के लिए प्रेरित करें। डॉ़ शर्मा ने कहा कि सूरजकुंड मेला आज भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ का सबसे बड़ा मंच है।
1000 से अधिक स्टॉल, आवेदन प्रक्रिया शुरू
मेले में स्टॉल संख्या को 1000 के पार ले जाने की तैयारी है। विभाग ने आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बार यह जोर दिया जा रहा है कि दुर्लभ हस्तशिल्प, लुप्तप्राय कारीगरी, जनजातीय कला और शुद्ध हस्तनिर्मित उत्पाद को प्राथमिकता दी जाए।
