अनिल शर्मा/निस
रोहतक, 12 फरवरी
जापानी तकनीक मियावाकी से अब रोहतक जिले को हरा-भरा बनाया जाएगा। सुनारिया जिला कारागार की ओर से पिछले करीब डेढ़ साल पहले शुरू की गई मियावाकी से तकनीक से कारागार हरी-भरी हो गई है। मियावाकी तकनीक देखने सुनारियां पहुंचे उपायुक्त ने जिले में इसकी शुरुआत करने की बात कही। साथ ही, उन्होंने प्रोजेक्ट की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से पूरे जिले में शुरुआत कर हरा-भरा बनाया जाएगा। महम व शुगर मिल से इसके शुरुआत की जाएगी। बताया जा रहा है कि जेल में इन पेड़-पौधों को लगाने के लिए पंजाब से विशेष तौर पर एक्सपर्ट बुलाए गए थे। मियावाकी तकनीक से बहुत ही कम दूरी पर पेड-पौधे लगाए जाते है। सुनारियां कारागार में 2 हजार वर्ग गज में करीब 5 हजार से अधिक पेड-पौधे लगाये गए हैं और 35 तरह के अलग-अलग पेड-पौधे है, जिनमें औषधि और फलदार पेड़ भी शामिल हैं। उपायुक्त मनोज कुमार ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की और तकनीक के बारे बताया। उपायुक्त ने बताया कि बहुत ही कम जगह में कई गुणा पेड़-पौधे लगाएं जा सकते है।
सुनारियां जेल अधीक्षक सुनील सांगवान ने बताया कि मियावाकी तकनीक से छोटे-छोटे जंगल बनाए जा सकते हैं, जिससे वातावरण में भरपूर मात्रा में आक्सीजन मिलेगी। जेल अधीक्षक ने कहा कि वनों की कटाई के कारण हरियाली में कमी आई है। परिणाम स्वरूप वातावरण में भी असंतुलन पैदा हुआ, जिसके चलते जानवर विलुप्त होने लगे हैं। जलवायु परिवर्तन हो रहा है तथा नमी में कमी आ रही है। भू-जल स्तर गिरता जा रहा है और इसके साथ ही तापमान बढ़ रहा है। इस स्थिति में यह तकनीत बेहद कारगर साबित हो सकती है। कैप्टन मनोज कुमार ने कहा कि इस विधि के तहत अलग-अलग प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं। जब यह पौधे विकसित हो जाते हैं तो इनकी ऊंचाई में अंतर रहता है। एक पेड़ अधिक ऊंचाई का होगा तो दूसरा कम ऊंचाई वाला होता है और तीसरा पेड़ घनी छायादार वाला चुना जाता है। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे वन बेहद लाभकारी साबित हो सकते हैं।
देसी गाय के गोबर से तैयार की जाती है खाद
मियावाकी तकनीक से लगाएं पौधों के लिए देसी गाय के गोबर से विशेष खाद तैयार की जाती है। इससे पौधों का तेजी से विकास होता है। खास बात यह है कि इस तकनीक से तैयार किये गए जंगलों में पौधे केवल ऊपर से ही सूर्य का प्रकाश प्राप्त करते हैं और ऊपर की ओर ज्यादा बढ़ते हंै। इससे बीस फीसदी तेजी से पौधों का विकास होता है।